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1984 सिख नस्लकुशी के आरोपी जगदीश टाईटलर को जमानत देना पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने वाला फैसला

चंडीगढ़: भारतीय जनता युवा मोर्चा पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष इंजि. कंवरवीर सिंह टोहरा ने 1984 सिख नस्लकुशी के मुख्य आरोपी जगदीश टाईटलर को माननीय अदालत द्वारा अग्रिम जमानत दिए जाने का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि माननीय अदालत द्वारा आरोपी जगदीश टाईटलर को अग्रिम जमानत दिया जाना दंगा पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने वाला फैसला है। उन्होंने कहा कि माननीय अदालत के इस फैसले से सिख पीड़ितों के दिलों का गहरा आघात पहुँचा है। ज्ञात रहे कि जगदीश टाइटलर पर सिख विरोधी दंगे फैलाने का आरोप है।
कंवरवीर सिंह टोहरा ने जारी अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सीबीआई ने माननीय अदालत में दाखिल अपने आरोपपत्र में दावा किया है कि टाइटलर ने एक नवंबर, 1984 को आजाद मार्केट में पुल बंगश गुरुद्वारे पर इकट्ठा हुई भीड़ को 'उकसाया और भड़काया', जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारे में आग लगा दी गई और तीन सिखों- ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरुचरण सिंह की हत्या कर दी गई थी। सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए भारत सरकार ने साल 2000 में जस्टिस नानावटी कमीशन की स्थापना की गई थी। जस्टिस नानावटी कमीशन की रिपोर्ट जारी होने के बाद तत्कालीन गृह मंत्रालय ने CBI को तत्कालीन सांसद और अन्य लोगों के खिलाफ जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 148 (दंगा) और धारा 302 (हत्या) समेत अन्य प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं।
कंवरवीर सिंह टोहरा ने कहा कि सीबीआई ने 1984 के सिख दंगे मामले में 20 मई को टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। एक बार इसी मामले में सीबीआई 2009 के आम चुनाव से पहले टाइटलर को क्लीन चिट भी दे चुकी है। कंवरवीर सिंह टोहरा ने कहा कि जगदीश टाइटलर ने वकीलों को लाइव टीवी पर धमकियां दी हैं। उन्होंने सिर्फ गवाहों को ही नहीं बल्कि मामले से जुड़े वकीलों को भी धमकियां दी हैं। ऐसे आरोपी को जमानत कतई नहीं दी जानी चाहिए।