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502 पूर्ण तालाब (213 तीन तालाब पद्धति व 289 पांच तालाब पद्धतियों) का निर्माण किया जा चुका

चंडीगढ़ (अदिति) हरियाणा के विकास एवं पंचायत मंत्री श्री देवेन्द्र सिंह बबली ने बजट सत्र के दौरान पूछे एक प्रश्न के जवाब में बताया कि हरियाणा राज्य में अब तक कुल 502 पूर्ण तालाब (213 तीन तालाब पद्धति व 289 पांच तालाब पद्धतियों) का निर्माण किया जा चुका है जिनमें से 443 तालाब क्रियाशील है। इस प्रकार अधिकांश तालाब उद्देश्यों की पूर्ति कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि राज्य भर में ग्रे-वाटर मैनेजमेंट के पहले चरण में 3400 गांवों के जोहड़ों के कायाकल्प की योजना बनाई गई है। ग्रे-वाटर को उपचारित करने हेतु अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब पद्धति (3/5 तालाब पद्धति) का निर्माण किया जा रहा है। इस अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब प्रणाली में मौजूदा तालाब को तीन या पांच तालाबों में विभाजित किया जाता है। यह वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन और सूर्य के प्रकाश के माध्यम से होने वाली एक प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया है। इस प्रणाली में अन्य उपचार प्रणालियों की तरह किसी रसायन, बिजली या कुशल व्यक्तियों की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार संचालन और रखरखाव की लागत बहुत कम है। यह कार्य स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (चरण-1) के अन्तर्गत 2014-15 से 2019-20 के दौरान स्वीकृत हुए हैं।
विकास एवं पंचायत मंत्री ने कहा कि गांवों की आबादी के आधार पर इस प्रणाली को स्थापित किया जा रहा है। मुलाना विधानसभा क्षेत्र (जिला अम्बाला) में, तरल अपशिष्ट प्रबन्धन (चरण- वित्त वर्ष 2014-15 से 2019-20) के अन्तर्गत तीन कार्य स्वीकृत हैं जिसमें से एक कार्य तीन तालाब पद्धति गांव झारू माजरा में स्थापित है तथा दो कार्य पांच तालाब पद्धति से गांव दहिया माजरा तथा राजो खेड़ी में स्थापित किये गये है। सभी पांच तालाब तथा तीन तालाब पद्धितियां क्रियाशील हैं।
श्री देवेन्द्र सिंह बबली ने बताया कि ग्रामीण विकास विभाग, पेयजल आपूर्ति विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ''Solid & Liquid Waste Management In Rural Areas-A Technical Note’’ के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में गंदे पानी के निपटान हेतु विभिन्न पद्धतियों को अपनाया जा सकता है। प्रदेश में ग्रे-वाटर के प्रबंधन हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में ‘‘मौके से परे प्रबंधन’’ पद्धति प्रयोग में लाई जा रही है।