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Towards self-reliance in Indian steel industry,आत्मनिर्भरता की ओर भारतीय इस्पात उद्योग,ਆਤਮਨਿਰਭਰਤਾ...


By: Shri Ram Chandra Prasad Singh, Union Minister of Steel, Govt of India

Enabling Indian steel industry to contribute its best to Aatmanirbhar Bharat, is how I see the Production Linked Incentive Scheme (PLI) for ‘Specialty Steel’. The Scheme was approved recently by the Cabinet headed by Hon’ble Prime Minister Sh. Narendra Modi. His visionary and strategic approach towards creating a new India lays stress on strengthening the manufacturing sector and becoming self-reliant. After assuming charge as Union Steel Minister in July, this is the first policy intervention I have had the privilege to steer. The scheme is a brilliant example of how institutions can be helped to both, think appropriately and make better decisions by being offered choices that have been designed to enable win-win outcomes.

Under the scheme, incentives shall be payable to eligible companies for incremental production of specialty steel on a year-on-year basis, for a period of five years. So, Government is encouraging them to add value to products. This will have dual advantage. They will get better prices for value-added products in domestic as well as in international markets, and also get incentives under the scheme. Both Integrated steel producers as well as secondary steel producers & MSME will be benefited from the scheme. An outlay of ₹6,322 crore has been planned to boost domestic steel manufacturing of ‘specialty steel’ and attract significant investments. Specialty steel’ grades which need to be incentivized were finalized in consultation with the producers and the user industries. ‘Specialty Steel’ is one of the 13 critical sectors identified for bolstering India’s manufacturing capabilities and enhancing exports, for which PLI Schemes have been approved.

The incentives are aimed at driving India’s growth by giving better value to the consumers, and bringing in high import substitution. Further, the expected additional investments under the Scheme have the potential to not only meet the domestic demand but also create global champions in due course. PLI will help to achieve the Prime Minister’s vision of ‘Atmanirbhar Bharat’ in high-grade steel production besides achieving technological capabilities and creating a competitive and technically advanced eco-system. It will lead to domestic capacity addition in ‘specialty steel’ with an investment of about ₹40,000 crore, reduction in import of about ₹30,000 crore and enhanced exports of about ₹33,000 crore. With potential for creating additional manufacturing capacities of around 25 million tonnes, it is estimated that the Scheme has an employment generation potential of about 5,25,000, of which approximately 68,000 will be direct, and the rest will be indirect employment.

Specialty Steel segment was chosen for incentivising because Indian steel industry operates at a lower end of the value chain when it comes to steel trade. In FY 2020-21, India’s steel export was 10.7 million tonnes of which 1.8 million tonnes were of ‘specialty steel’ while imports were 4.7 million tonnes of which 2.9 million tonnes were of ‘specialty steel’. This imbalance of high imports and low exports as a percentage of total trade can be reversed by the PLI scheme.

National Steel Policy (NSP), 2017, has set a target of domestically meeting the entire demand of high-grade automotive steel, electrical steel, special steel, and alloys for strategic applications by 2030-31. The country can achieve this vision only if the government incentivizes the steel industry to enhance the production of such ‘specialty steel’ grades and move up the value chain.

I am confident that this PLI Scheme will help us leapfrog to be in the league of countries producing high quality value-added steel. Let us all work together to strengthen the “Make in India” brand denoting high quality at competitive prices. श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह, केंद्रीय इस्पात मंत्री, भारत सरकार भारतीय इस्पात उद्योग को आत्मनिर्भर भारत में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिए सक्षम बनाना - मैं 'स्पेशलिटी स्टील' के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को इस रूप में देखता हूं। इस योजना को हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया है। न्यू इंडिया बनाने की दिशा में उनका दूरदर्शी और रणनीतिक दृष्टिकोण, विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने और इसके आत्मनिर्भर होने पर जोर देता है। जुलाई में केंद्रीय इस्पात मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, यह पहली नीतिगत योजना है, जिसे लागू करने का सौभाग्य मुझे मिला है। यह योजना इस बात का शानदार उदाहरण है कि कैसे दो तरीकों से संस्थानों की मदद की जा सकती है – सटीकता को ध्यान में रखते हुए सोचें और पेश किये गए विकल्पों के आधार पर बेहतर निर्णय लें। इन विकल्पों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि इससे दोनों ही पक्ष जीत की स्थिति में होंगे। इस योजना के तहत 'स्पेशलिटी स्टील' के वृद्धिशील उत्पादन के लिए पात्र कंपनियों को साल-दर-साल आधार पर पांच साल की अवधि तक प्रोत्साहन दिया जायेगा। इसलिए, सरकार उन्हें उत्पादों में मूल्य-वर्धन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे दोहरा फायदा होगा। उन्हें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मूल्य वर्धित उत्पादों की बेहतर कीमत मिलेगी और योजना के तहत प्रोत्साहन भी प्राप्त होगा। इस योजना से एकीकृत इस्पात उत्पादकों के साथ-साथ द्वितीयक इस्पात उत्पादकों और एमएसएमई को भी लाभ होगा। 'स्पेशलिटी स्टील' के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित करने के लिए 6,322 करोड़ रुपये के परिव्यय की योजना बनाई गई है। 'स्पेशलिटी स्टील' की वह श्रेणी, जिसे प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है, को उत्पादकों और उपयोगकर्ता उद्योगों के परामर्श से अंतिम रूप दिया गया है। 'स्पेशलिटी स्टील' उन 13 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जिन्हें भारत की विनिर्माण क्षमता और निर्यात बढ़ाने के लिए चिह्नित किया गया है और जिनके लिए पीएलआई योजनाओ की मंजूरी दी गई है। प्रोत्साहन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को बेहतर उत्पाद देने के साथ आयात में कमी लाकर भारत के विकास को गति देना है। इसके अलावा, इस योजना के तहत अपेक्षित अतिरिक्त निवेश से न केवल घरेलू मांग को पूरा करने की क्षमता विकसित होगी; बल्कि आने वाले समय में इस्पात क्षेत्र, वैश्विक चैंपियन भी बन सकता है। पीएलआई योजना उच्च श्रेणी के स्टील उत्पादन में प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' के विज़न को पूरा करने में मदद करेगी। इसके अलावा इस योजना से तकनीकी क्षमताओं को प्राप्त करने और एक प्रतिस्पर्धी व तकनीकी रूप से उन्नत इको-सिस्टम बनाने में सहायता मिलेगी। लगभग 40,000 करोड़ रुपये के निवेश से 'स्पेशलिटी स्टील' की घरेलू क्षमता में वृद्धि होगी, आयात में लगभग 30,000 करोड़ रुपये के कमी आयेगी और निर्यात में लगभग 33,000 करोड़ रुपये के वृद्धि होगी। लगभग 25 मिलियन टन की अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता सृजित होगी। अनुमान है कि इस योजना में लगभग 5,25,000 लोगों को रोजगार देने की क्षमता है, जिनमें से लगभग 68,000 प्रत्यक्ष रोजगार होंगे और शेष अप्रत्यक्ष रोजगार होंगे। स्पेशलिटी स्टील क्षेत्र को प्रोत्साहन के लिए चुना गया था, क्योंकि भारतीय इस्पात उद्योग, इस्पात कारोबार के सन्दर्भ में मूल्य श्रृंखला के निचले स्तर पर काम करता है। वित्त वर्ष 2020-21 में, भारत का इस्पात निर्यात 10.7 मिलियन टन था, जिसमें 'स्पेशलिटी स्टील' का हिस्सा 1.8 मिलियन टन था, जबकि आयात 4.7 मिलियन टन रहा, जिसमें 'स्पेशलिटी स्टील' का हिस्सा 2.9 मिलियन टन था। कुल व्यापार के प्रतिशत के रूप में उच्च आयात और कम निर्यात के इस असंतुलन को पीएलआई योजना द्वारा एकदम से विपरीत किया जा सकता है। राष्ट्रीय इस्पात नीति (एनएसपी), 2017 के तहत 2030-31 तक रणनीतिक अनुप्रयोगों के लिए उच्च श्रेणी के ऑटोमोटिव स्टील, इलेक्ट्रिकल स्टील, विशेष स्टील और मिश्र धातुओं की पूरी मांग को घरेलू स्तर पर पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। देश इस विजन को तभी हासिल कर सकता है, जब सरकार इस तरह के 'स्पेशलिटी स्टील' के उत्पादन को बढ़ाने और मूल्य श्रृंखला को बेहतर बनाने के लिए इस्पात उद्योग को प्रोत्साहित करे। मुझे विश्वास है कि यह पीएलआई योजना हमें उच्च गुणवत्ता वाले मूल्य वर्धित इस्पात का उत्पादन करने वाले देशों में शामिल करने में मदद करेगी। आइए हम "मेक इन इंडिया" ब्रांड, जिसका अर्थ प्रतिस्पर्धी कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद का निर्माण है, को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करें।

ਆਤਮਨਿਰਭਰਤਾ ਵੱਲ ਭਾਰਤੀ ਇਸਪਾਤ ਉਦਯੋਗ

ਸ਼੍ਰੀ ਰਾਮ ਚੰਦਰ ਪ੍ਰਸਾਦ ਸਿੰਘ, ਕੇਂਦਰੀ ਇਸਪਾਤ ਮੰਤਰੀ, ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ

ਆਤਮਨਿਰਭਰ ਭਾਰਤ ’ਚ ਭਾਰਤੀ ਇਸਪਾਤ ਉਦਯੋਗ ਨੂੰ ਬਿਹਤਰੀਨ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਉਣ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਉਂਦਿਆਂ ‘ਸਪੈਸ਼ਲਟੀ ਸਟੀਲ’ ਲਈ ਮੈਂ ‘ਉਤਪਾਦਨ ਨਾਲ ਜੁੜੀ ਪ੍ਰੋਤਸਾਹਨ ਯੋਜਨਾ’ (PLI) ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਦੇਖਦਾ ਹਾਂ। ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਨੂੰ ਹਾਲ ਹੀ ਵਿੱਚ ਮਾਣਯੋਗ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਸ਼੍ਰੀ ਨਰੇਂਦਰ ਮੋਦੀ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਕੈਬਨਿਟ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਵਾਨਗੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸੀ। ਇੱਕ ਨਿਊ ਇੰਡੀਆ ਦੀ ਸਿਰਜਣਾ ਦੇ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਦੂਰ–ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਤੇ ਰਣਨੀਤਕ ਪਹੁੰਚ ਨਿਰਮਾਣ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਮਜ਼ਬੂਤ ਕਰਨ ਅਤੇ ਆਤਮਨਿਰਭਰ ਹੋਣ ਉੱਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ। ਜੁਲਾਈ ’ਚ ਕੇਂਦਰੀ ਇਸਪਾਤ ਮੰਤਰੀ ਵਜੋਂ ਕਾਰਜ–ਭਾਰ ਸੰਭਾਲਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਹ ਪਹਿਲਾ ਨੀਤੀਗਤ ਦਖ਼ਲ ਹੈ, ਜਿਸ ਦਾ ਸੰਚਾਲਨ ਕਰਨ ਦਾ ਮੈਨੂੰ ਮਾਣ ਮਿਲਿਆ ਹੈ। ਇਹ ਯੋਜਨਾ ਇਸ ਦੀ ਇੱਕ ਵਧੀਆ ਮਿਸਾਲ ਹੈ ਕਿ ਸੰਸਥਾਨਾਂ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਖ਼ਾਸ ਤੌਰ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਅਜਿਹੇ ਵਿਕਲਪ ਮੁਹੱਈਆ ਕਰਵਾ ਕੇ ਵਾਜਬ ਤਰੀਕੇ ਸੋਚਣ ਤੇ ਬਿਹਤਰ ਫ਼ੈਸਲੇ ਲੈਣ ਵਿੱਚ ਮਦਦ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਉਹ ਹਰ ਹਾਲ ਵਿੱਚ ਸਫ਼ਲ ਨਤੀਜੇ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਦੇ ਤਹਿਤ ਯੋਗ ਕੰਪਨੀਆਂ ਨੂੰ ਪੰਜ ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਮਿਆਦ ਲਈ, ਸਾਲ-ਦਰ-ਸਾਲ ਦੇ ਅਧਾਰ ’ਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਟੀਲ ਦੇ ਵਧਦੇ ਉਤਪਾਦਨ ਲਈ ਪ੍ਰੋਤਸਾਹਨ ਭੁਗਤਾਨਯੋਗ ਹੋਣਗੇ। ਇਸ ਲਈ, ਸਰਕਾਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਤਪਾਦਾਂ ਦੀ ਅਹਿਮੀਅਤ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ। ਇਸਦਾ ਦੋਹਰਾ ਫਾਇਦਾ ਹੋਵੇਗਾ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਵਧੇਰੇ ਅਹਿਮੀਅਤ ਵਾਲੇ ਉਤਪਾਦਾਂ ਲਈ ਘਰੇਲੂ ਅਤੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਬਾਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਬਿਹਤਰ ਕੀਮਤਾਂ ਮਿਲਣਗੀਆਂ ਅਤੇ ਇਸ ਸਕੀਮ ਅਧੀਨ ਪ੍ਰੋਤਸਾਹਨ ਵੀ ਮਿਲਣਗੇ। ਏਕੀਕ੍ਰਿਤ ਸਟੀਲ ਉਤਪਾਦਕਾਂ ਦੇ ਨਾਲ–ਨਾਲ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਟੀਲ ਉਤਪਾਦਕਾਂ ਅਤੇ ਐੱਮਐੱਸਐੱਮਈ (MSME) ਨੂੰ ਇਸ ਸਕੀਮ ਦਾ ਲਾਭ ਮਿਲੇਗਾ। 'ਸਪੈਸ਼ਲਟੀ ਸਟੀਲ' ਦੇ ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਨਿਰਮਾਣ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰਨ ਅਤੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਨਿਵੇਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰਨ ਲਈ, 6,322 ਕਰੋੜ ਦੇ ਖਰਚ ਦੀ ਯੋਜਨਾ ਬਣਾਈ ਗਈ ਹੈ। ਸਪੈਸ਼ਲਟੀ ਸਟੀਲ ਦੇ ਗ੍ਰੇਡ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰੋਤਸਾਹਨ ਦੇਣ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ, ਨੂੰ ਉਤਪਾਦਕਾਂ ਅਤੇ ਖਪਤਕਾਰ ਉਦਯੋਗਾਂ ਨਾਲ ਸਲਾਹ ਮਸ਼ਵਰੇ ਨਾਲ ਅੰਤਮ ਰੂਪ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ। 'ਸਪੈਸ਼ਲਿਟੀ ਸਟੀਲ' ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਨਿਰਮਾਣ ਸਮਰੱਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਅਤੇ ਬਰਾਮਦ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਪਛਾਣੇ ਗਏ 13 ਅਹਿਮ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਹੈ, ਜਿਸ ਲਈ ਪੀਐੱਲਆਈ (PLI) ਸਕੀਮਾਂ ਨੂੰ ਮਨਜ਼ੂਰੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ।

ਪ੍ਰੋਤਸਾਹਨ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਖਪਤਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਬਿਹਤਰ ਮੁੱਲ ਦੇ ਕੇ, ਅਤੇ ਦਰਾਮਦ ਦਾ ਵੱਡਾ ਬਦਲ ਲਿਆ ਕੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਨੂੰ ਅੱਗੇ ਵਧਾਉਣਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਯੋਜਨਾ ਦੇ ਤਹਿਤ ਸੰਭਾਵੀ ਵਾਧੂ ਨਿਵੇਸ਼ ਨਾ ਸਿਰਫ਼ ਘਰੇਲੂ ਮੰਗ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਰੱਖਦੇ ਹਨ, ਸਗੋਂ ਸਮੇਂ ਦੇ ਨਾਲ ਵਿਸ਼ਵ ਚੈਂਪੀਅਨ ਵੀ ਬਣਾ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਪੀਐੱਲਆਈ ਉੱਚ ਪੱਧਰੀ ਸਟੀਲ ਉਤਪਾਦਨ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦੇ 'ਆਤਮਨਿਰਭਰ ਭਾਰਤ' ਦੇ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀਕੋਣ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਤਕਨੀਕੀ ਸਮਰੱਥਾਵਾਂ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਅਤੇ ਇੱਕ ਪ੍ਰਤੀਯੋਗੀ ਅਤੇ ਤਕਨੀਕੀ ਤੌਰ ’ਤੇ ਉੱਨਤ ਈਕੋਸਿਸਟਮ ਬਣਾਉਣ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰੇਗਾ। ਇਹ 'ਸਪੈਸ਼ਲਿਟੀ ਸਟੀਲ' ਵਿੱਚ ਲਗਭਗ 40,000 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੇ ਨਿਵੇਸ਼, ਦਰਾਮਦ ਵਿੱਚ ਲਗਭਗ 30,000 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਦੀ ਕਮੀ ਅਤੇ ਲਗਭਗ 33,000 ਕਰੋੜ ਦੀ ਵਧੀ ਹੋਈ ਬਰਾਮਦ ਨਾਲ ਘਰੇਲੂ ਸਮਰੱਥਾ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਹੋਵੇਗਾ। ਅਨੁਮਾਨ ਹੈ ਕਿ ਲਗਭਗ 25 ਮਿਲੀਅਨ ਟਨ ਦੀ ਵਾਧੂ ਨਿਰਮਾਣ ਸਮਰੱਥਾ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਨਾਲ ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਰਾਹੀਂ ਲਗਭਗ ਰੋਜ਼ਗਾਰ ਦੇ 5,25,000 ਮੌਕੇ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਲਗਭਗ 68,000 ਰੋਜ਼ਗਾਰ ਪ੍ਰਤੱਖ ਮਿਲਣਗੇ, ਅਤੇ ਬਾਕੀ ਅਪ੍ਰਤੱਖ ਰੋਜ਼ਗਾਰ ਹੋਣਗੇ।

ਸਪੈਸ਼ਲਟੀ ਸਟੀਲ ਵਰਗ ਨੂੰ ਪ੍ਰੋਤਸਾਹਨ ਦੇਣ ਲਈ ਚੁਣਿਆ ਗਿਆ ਸੀ ਕਿਉਂਕਿ ਜਦੋਂ ਸਟੀਲ ਵਪਾਰ ਦੀ ਗੱਲ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਭਾਰਤੀ ਸਟੀਲ ਉਦਯੋਗ ਵੈਲਿਊ ਚੇਨ ਦੇ ਹੇਠਲੇ ਸਿਰੇ ’ਤੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਵਿੱਤੀ ਸਾਲ 2020-21 ਵਿੱਚ, ਭਾਰਤ ਦੀ ਸਟੀਲ ਬਰਾਮਦ 10.7 ਮਿਲੀਅਨ ਟਨ ਸੀ, ਜਿਸ ਵਿੱਚੋਂ 1.8 ਮਿਲੀਅਨ ਟਨ 'ਸਪੈਸ਼ਲਟੀ ਸਟੀਲ' ਦਾ ਸੀ ਜਦੋਂ ਕਿ ਦਰਾਮਦਾਂ 4.7 ਮਿਲੀਅਨ ਟਨ ਦੀਆਂ ਸਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ 2.9 ਮਿਲੀਅਨ ਟਨ 'ਸਪੈਸ਼ਲਟੀ ਸਟੀਲ' ਸੀ। ਕੁੱਲ ਵਪਾਰ ਦੇ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉੱਚ ਦਰਾਮਦ ਅਤੇ ਘੱਟ ਬਰਾਮਦ ਦੇ ਇਸ ਅਸੰਤੁਲਨ ਨੂੰ ਪੀਐੱਲਆਈ ਸਕੀਮ ਦੁਆਰਾ ਪਲਟਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ।

ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਇਸਪਾਤ ਨੀਤੀ (ਐੱਨਐੱਸਪੀ – ਨੈਸ਼ਨਲ ਸਟੀਲ ਪਾਲਿਸੀ), 2017 ਨੇ 2030-31 ਤੱਕ ਰਣਨੀਤਕ ਉਪਯੋਗਾਂ ਲਈ ਉੱਚ ਪੱਧਰੀ ਆਟੋਮੋਟਿਵ ਸਟੀਲ, ਇਲੈਕਟ੍ਰੀਕਲ ਸਟੀਲ, ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਟੀਲ ਅਤੇ ਅਲਾਇਜ਼ ਦੀ ਸਮੁੱਚੀ ਮੰਗ ਨੂੰ ਘਰੇਲੂ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਦਾ ਟੀਚਾ ਰੱਖਿਆ ਹੈ। ਦੇਸ਼ ਇਸ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਨੂੰ ਤਾਂ ਹੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜੇ ਸਰਕਾਰ ਸਟੀਲ ਉਦਯੋਗ ਨੂੰ ਅਜਿਹੇ 'ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਟੀਲ' ਗ੍ਰੇਡਾਂ ਦੇ ਉਤਪਾਦਨ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਅਤੇ ਵੈਲਿਊ ਚੇਨ ਨੂੰ ਅੱਗੇ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰੇ।

ਮੈਨੂੰ ਭਰੋਸਾ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਪੀਐੱਲਆਈ ਸਕੀਮ ਉੱਚ ਪੱਧਰੀ ਵੈਲਿਊ-ਐਡਿਡ ਸਟੀਲ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀ ਲੀਗ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਿੱਚ ਸਾਡੀ ਮਦਦ ਕਰੇਗੀ। ਆਓ ਆਪਾਂ ਸਾਰੇ ਮਿਲ ਕੇ "ਮੇਕ ਇਨ ਇੰਡੀਆ" ਬ੍ਰਾਂਡ ਨੂੰ ਮਜ਼ਬੂਤ ਕਰੀਏ ਜੋ ਪ੍ਰਤੀਯੋਗੀ ਕੀਮਤਾਂ 'ਤੇ ਉੱਚ ਗੁਣਵੱਤਾ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ।

ہندوستانی اسٹیل انڈسٹری میں خود انحصاری کی جانب

- جناب رام چندر پرساد سنگھ، مرکزی وزیر برائے اسٹیل، حکومت ہند

میں ہندوستانی اسٹیل انڈسٹری کو آتم نربھر بھارت میں ’اسپیشل اسٹیل‘ کے لیے پیداوار سے جڑی ہوئی مراعاتی اسکیم (پی ایل آئی) میں بہترین تعاون کرنے کے طور پر دیکھتا ہوں۔ اس اسکیم کو حال ہی میں وزیر اعظم جناب نریندر مودی کی صدارت والی کابینہ کے ذریعے منظور کیا گیا تھا۔ نیا ہندوستان بنانے کا ان کا دور اندیشانہ اور اسٹریٹجک نقطہ نظر مینوفیکچرنگ سیکٹر کو مضبوط کرنے اور خود کفیل بنانے پر زور دیتا ہے۔ جولائی میں اسٹیل کے مرکزی وزیر کا عہدہ سنبھالنے کے بعد، پالیسی سے متعلق مداخلت کرنےکا یہ میرا پہلا موقع ہے۔ یہ اسکیم اس بات کی شاندار مثال ہے کہ کیسے مناسب طریقے سے سوچنے اور بہتر فیصلے لینے میں اداروں کی مدد کرنی ہے، جس میں انہیں منتخب کرنے کے لیے وہ متبادل پیش کیے جاتے ہیں جنہیں کامیاب نتائج حاصل کرنے کے لیے بنایا گیا ہے۔

اس اسکیم کے تحت کمپنیوں کو پانچ سال کی مدت کے لیے، سال در سال کی بنیاد پر بہترین اسٹیل کی پیداوار میں اضافہ کرنےکے لیے مراعات ادا کی جائیں گی۔ لہٰذا، حکومت ان کی حوصلہ افزائی کر رہی ہے کہ وہ مصنوعات میں قدر کا اضافہ کریں۔ اس کے دو فائدے ہوں گے۔ انہیں گھریلو کے ساتھ ساتھ بین الاقوامی بازاروں میں ویلیو ایڈیڈ پراڈکٹس کے لیے بہتر قیمتیں ملیں گی، اور ساتھ ہی اسکیم کے تحت مراعات بھی حاصل ہوں گی۔ اس اسکیم سے انٹیگریٹیڈ اسٹیل کی پیداوار کرنے والوں اور سیکنڈری اسٹیل پیداوار کرنے والوں اور ایم ایس ایم ای کو بھی فائدہ ہوگا۔ ’اسپیشلٹی اسٹیل‘ کی گھریلو اسٹیل مینوفیکچرنگ میں اضافہ کرنے اور بہتر سرمایہ کاری کو متوجہ کرنے کے لیے 6322 کروڑ روپے کا بجٹ طے کیا گیا ہے۔ ’اسپیشلٹی اسٹیل‘ گریڈ جسے مراعات فراہم کرنے کی ضرورت ہے، اس کا فیصلہ پیداوار کرنے والوں اور استعمال کرنے والی صنعتوں کے ساتھ صلاح و مشورہ کرنے کے بعد کیا گیا تھا۔ ’اسپیشلٹی اسٹیل‘ اُن 13 اہم شعبوںمیں سے ایک ہے جس کی شناخت ہندوستان کی مینوفیکچرنگ صلاحیتوں کو بڑھانے اور برآمدات میں اضافہ کرنے کے لیے کی گئی تھی، جس کے لیے پی ایل آئی اسکیم کو منظور کیا گیا ہے۔

مراعات کا مقصد ہندوستانی ترقی میں اضافہ کرنا ہے، جس کے تحت صارفین کو بہتر قیمت فراہم کی جائے گی، اور اعلیٰ درآمداتی متبادل پیش کیا جائے گا۔ مزید برآں، اسکیم کے تحت متوقع اضافی سرمایہ کاری میں نہ صرف گھریلو مانگ کو پورا کرنے کا امکان ہے، بلکہ آنے والے وقت میں عالمی چمپئن بھی تیار کرنا ہے۔ پی ایل آئی ٹیکنالوجیکل صلاحیتیں حاصل کرنے اور مقابلہ جاتی اور تکنیکی طور پر ایڈوانس ایکو سسٹم تیار کرنے کے علاوہ، ہائی گریڈ اسٹیل کی پیداوار میں وزیر اعظم کے ’آتم نربھر بھارت‘ کے وژن کو بھی پورا کرنے میں مدد کرے گا۔ یہ تقریباً 40000 کروڑ روپے کی سرمایہ کاری، درآمدات میں تقریباً 30000 کروڑ روپے کی کمی اور برآمدات میں تقریباً 32000 کروڑ روپے کے اضافہ کے ساتھ ’اسپیشلٹی اسٹیل‘ میں گھریلو صلاحیت میں اضافہ کا باعث بنے گا۔ تقریباً 25 ملین ٹن کی اضافی مینوفیکچرنگ صلاحیت پیدا کرنے کے امکان کے ساتھ، اندازہ لگایا گیا ہے کہ اس اسکیم میں تقریباً 525000 روزگار پیدا کرنے کا امکان ہے، جس میں سے تقریباً 68000 براہ راست ہوگا، اور بقیہ بالواسطہ روزگار ہوگا۔

اسپیشلٹی اسکیم کو مراعات کے لیے اس لیے منتخب کیا گیاہے کیوں کہ اسٹیل کی تجارت کے معاملے میں ہندوستانی اسٹیل انڈسٹری ویلیو چین کے آخری سرے پر کام کرتی ہے۔ مالی سال 21-2020 میں، ہندوستان کی اسٹیل برآمدات 10.7 ملین ٹن تھی جس میں سے 1.8 ملین ٹن ’اسپیشلٹی اسٹیل‘ تھی جب کہ 4.7 ملین ٹن کی درآمدات ہوئی تھی جس میں سے 2.9 ملین ٹن ’اسپیشلٹی اسٹیل‘ تھی۔ مجموعی تجارت کے فیصد کے طور پر زیادہ درآمد اور کم برآمد کے اس عدم توازن کو پی ایل آئی اسکیم کے ذریعے پلٹا جا سکتا ہے۔

نیشنل اسٹیلی پالیسی (این ایس پی)، 2017 نے ہائی گریڈ آٹوموٹیو اسٹیل، الیکٹریکل اسٹیل، اسپیشل اسٹیل کی کل مانگ کو گھریلو سطح پر پورا کرنے، اور 31-2030 تک اسٹریٹجک ایپلی کیشن کے لیے مرکبات کا ہدف مقرر کیا ہے۔ ملک اس وژن کو تبھی حاصل کر سکتا ہے جب حکومت اس قسم کے ’اسپیشلٹی اسٹیل‘ گریڈ کی پیداوار میں اضافہ کرنے اور ویلیو چین کو آگے بڑھانے کے لیے اسٹیل انڈسٹری کو مراعات دے۔

مجھے یقین ہے کہ یہ پی ایل آئی اسکیم ہمیں ہائی کوالٹی ویلیو ایڈیڈ اسٹیل پیدا کرنے والے ممالک میں شامل ہونے میں مدد کرے گی۔ مقابلہ جاتی قیمتوں پر اعلیٰ معیار والی ’’میک ان انڈیا‘‘ برانڈ کو مضبوط کرنے کے لیے ہم سبھی کو مل کر کام کرنا چاہیے۔



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