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अदालतों में पंजाबी में कामकाज करने की अब उठी मांग


चंडीगढ़ (अदिति) दोनों राज्यों की राजधानी सहित हरियाणा और पंजाब की अदालतों में अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में कामकाज होने की मांग के बाद अब पंजाबी में ना केवल काम करने की बल्कि अदालतों के फैसले भी पंजाबी में सुनाई जाने की मांग उठी है। इस कार्य के लिए विशेष तौर पर हस्ताक्षर अभियान चलाया गया है और देखने वाली बात यह है कि पंजाब से ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों से इस मांग को भरपूर समर्थन मिल रहा है।

इस मुद्दे को उठाने में सबसे अधिक अहम योगदान मानवाधिकार आयोग के पूर्व सदस्य बलजिंदर सिंह ठाकुर ने दिया है। उन्होंने पंजाबी भाषा मंच के नाम से काम शुरू किया जिस के वह को-कन्वीनर है। इस मंच का गठन गत अगस्त माह में हुआ और इसका उद्देश्य पंजाबी भाषा को आगे लेकर जाना और इसके विकास वह प्रचार के लिए आगे बढ़ना। कोरोना संकट को देखते हुए हस्ताक्षर अभियान ऑनलाइन चलाया गया है और डिजिटल माध्यम से बड़ी संख्या में लोग इस अभियान के साथ अपने आप को जोड़कर पूर्ण समर्थन दे रहे। मंच ने पंजाब और हरियाणा में अपना लक्ष्य करीब 20 लाख हस्ताक्षर का रखा है और उसके उपरांत यह मुद्दा सरकार के समक्ष हस्ताक्षरों सहित उठाया जायेगा। श्री ठाकुर से इस संबंध में जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि अदालतों में पंजाबी भाषा में भी काम शुरू हो ताकि जो गरीब और अन्य लोगों को अंग्रेजी समझ नहीं आती , उन्हें कोई गुमराह ना कर सके। किसानों को तो इस से बहुत लाभ होगा।

श्री ठाकुर ने कहा की हमारे मंच की तरफ से दूसरा मुद्दा जम्मू कश्मीर में पंजाबी भाषा को बहाल करना है। वहां पर भी बहुत सारे लोग पंजाबी भाषा को पसंद करते हैं और वहां पर पंजाबी भाषा बाहर निकाल करना बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है और हम यह मुद्दा राज्य व केंद्र सरकार के समक्ष इसी हस्ताक्षर अभियान आगे ले जाना चाहते हैं। श्री ठाकुर ने कहा कि जो समर्थन हमें 2 माह में मिला है उससे हम काफी उत्साहित हैं और आशा करते हैं की पंजाबी भाषा को अदालतों में लागू करने के लिए सरकार हमारे को पूरा सहयोग देगी। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम ये मुद्दा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उठाएंगे। उनका कहना है कि अदालतों में संभंधित लोगों से यह राय ली जा सकती है कि फैसला किस भाषा में चाहिए ताकि न्याय पाने की आशा से वहां पहुंचे लोग किसी प्रकार के अन्याय का शिकार ना हो सके।

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