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जब तक मैं हूँ, किसी खालिस्तानी या पाकिस्तानी को पंजाब की शान्ति भंग नहीं करने दूँगा - कैप्टन


भारत के लिए भारतीयों के हक में खड़ा’, हरियाणा का आरक्षण बिल गलत : मुख्यमंत्री

यदि बेअदबी के मामलों में एस.आई.टी. किसी भी बड़े पुलिस अधिकारी या राजनीतिज्ञ के खिलाफ केस दर्ज करती है तो दखलअन्दाजी नहीं करूँगा: मुख्यमंत्री

वर्ष 2022 के चुनाव के लिए आशीर्वाद लेने के लिए लोगों के पास जाने से पहले सभी वादे पूरे करेंगे - कैप्टन अमरिन्दर सिंह

अगामी विधानसभा चुनाव में अकाली दल और आप कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वी नहीं, दोनों पक्ष प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं

पंजाब कांग्रेस में सभी चाहते हैं कि सिद्धू टीम का हिस्सा बनें

अक्तूबर, 2020 में किसानों का आंदोलन शुरू होने के बाद से सरहद पार से ड्रोनों की हलचल में तेजी आने का गंभीर नोटिस लेते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज ऐलान किया कि जब तक मैं हूँ, किसी खालिस्तानी या पाकिस्तानी या अन्य किसी आतंकवादी गतिविधि को राज्य के अमन-चैन में बाधा पैदा करने की इजाजत नहीं दूँगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे की धारणा को हकीकत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस गंभीर मुद्दे पर विचार करने के लिए किसान आंदोलन के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी और उनको बताया था कि केंद्रीय बलों को ड्रोन ढूँढकर मार गिराने के लिए उपयुक्त साजो-सामान मुहैया क्यों नहीं करवाया जा सकता।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब में इस समय खालिस्तानी सैल सक्रिय नहीं हैं परन्तु उनको ड्रोनों के जरिये हथियार दिए जा रहे हैं जिससे उनको गड़बड़ी पैदा करने के लिए सक्रिय किया जा सके। उन्होंने इस लहर की कमर तोड़ देने का संकल्प किया।

अपनी सरकार के चार वर्ष पूरे करने पर मीडिया कर्मियों के साथ बातचीत के दौरान कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब की सरहद पर किसी तरह की सेंध का मतलब राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध है। उन्होंने कहा कि चाहे सरहद के पास से बड़ी संख्या में हथियार पकड़े गए हैं परन्तु चिंता उन हथियारों की है, जो पकड़े नहीं गए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात से चिंतित हूँ कि वे हथियार गए कहाँ।’’

मार्च, 2017 में उनकी सरकार आने से लेकर गिरफ्तारियों और बरामदगियों के विवरण साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों और गैंगस्टरों के 333 गिरोह पकड़े गए जबकि 3472 आतंकवादी/गैंगस्टर गिरफ्तार किये गए। उन्होंने बताया कि 10 ड्रोन उठाए गए हैं और इसके अलावा 2000 से अधिक हथियार (राईफलें, रिवॉल्वर, पिस्तौल आदि समेत), हैंड ग्रेनेड, आर.डी.एक्स. और अन्य विस्फोटक सामग्री, वॉकी-टॉकी और सैटेलाइट फोन बरामद किये गए। इसी तरह 11000 गोली-सिक्का जब्त किया गया। उन्होंने बताया कि पंजाब जैसे छोटे राज्य के लिए यह संख्या कम नहीं है।

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अगले वर्ष की शुरुआत में होने जा रहे 2022 की विधानसभा चुनाव के लिए लोगों का आशीर्वाद लेने के लिए फिर से उनके सामने जाने से पहले वर्ष 2017 के चुनावी वादे पूरे करने का प्रण किया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज कहा कि पंजाब में कांग्रेस का कोई विरोधी नहीं है क्योंकि न तो अकाली और न ही आम आदमी पार्टी प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रण किया, ‘‘हमने जो शुरू किया है, उसे पूरा करके रहेंगे।’’ मुख्यमंत्री ने पंजाब को भरोसा दिया कि उनकी सरकार हर उस वादे को पूरा करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी जो कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2017 के चुनाव में राज्य के लोगों के साथ किये थे। उन्होंने बताया कि 85 प्रतिशत से अधिक चुनावी वादे पूरे किये जा चुके हैं और किसी भी राज्य में किसी भी पार्टी के लिए यह एक रिकार्ड है। उन्होंने बताया कि पिछला रिकार्ड आंध्रप्रदेश में चन्द्रबाबू नायडू का था जिन्होंने 81 प्रतिशत वादे पूरे किये थे।

सांप्रदायिक तनाव और गड़बड़ी का समय झेलने वाले राज्य में पंजाबियत को बनाए रखने को यकीनी बनाने को उनकी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि लोग अमन-चैन चाहते हैं जहाँ वह शांतमयी माहौल में अपना कामकाज या कारोबार कर सकें। अपनी सरकार के चार वर्ष मुकम्मल होने पर प्रैस कॉन्फ्रेंस के दौरान विभिन्न सवालों के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘लोग हमारे प्रदर्शन और शासन को देखेंगे।’’

सभी किसानों का कर्ज माफ करने और सभी बेरोजगार नौजवानों को 2500 रुपए प्रति माह भत्ता देने के चुनावी वादों बारे सवालों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वित्तीय मजबूरियाँ खासकर कोविड की अभूतपूर्व स्थिति के कारण उनकी सरकार को कुछ वादे पूरा करने से पीछे हटना पड़ा। उन्होंने कहा कि राजस्व बढ़ रहा है और जब भी संभव हुआ, यह वादे भी पूरे किये जाएंगे। उन्होंने अगले चुनाव से पहले सभी वादे पूरा करने की वचनबद्धता को दोहराया। उन्होंने बताया कि 5.64 लाख किसानों का कर्ज पहले ही माफ किया जा चुका है और इस समय खेत मजदूरों को भी कर्ज माफी की नीति का लाभ दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि बजट में किये गए सभी प्रस्ताव यथार्थवादी मान्यताओं पर अधारित हैं।

नवजोत सिंह सिद्धू की बहाली संबंधी पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हर कोई चाहता है कि वह हमारी टीम का हिस्सा बनें।’’ उन्होंने कहा कि वह सिद्धू को उनके बचपन से जानते हैं और बीते दिन भी उनके साथ मीटिंग बहुत ही सुखद रही है। वह आशावान हैं कि सिद्धू फिर से वापसी का फैसला जल्द ही लेंगे। उन्होंने कहा कि वह इस बात पर भी खुश होंगे कि प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलों भी टीम का हिस्सा बनें। उन्होंने आगे कहा कि चाहे सभी की अपनी इच्छाएं होती हैं परन्तु यह फैसला करना कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के हाथ में है। उन्होंने कहा, ‘‘कठिन समय में आपको अपनी इच्छाओं को एक तरफ करना होगा और पार्टी के साथ खड़ा होना पड़ेगा।’’

एक सवाल कि क्या वह वर्ष 2022 में कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे और मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे, संबंधी कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यह फैसला ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने करना है। प्रशांत किशोर की नियुक्ति सम्बन्धी पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि लोकतंत्र में हर नेता और पार्टी के पास रणनीतीकारों की टीम होती है।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ई.वी.एम.) बनाम पेपर बैलेट बारे सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह ई.वी.एम्ज का विरोध करने वाले व्यक्तियों में से एक थे क्योंकि इनमें छेड़छाड़ हो सकती है जिसे उन्होंने एक समय चुनव आयोग के समाने भी साबित कर दिया था। उन्होंने कहा कि जापान, स्वीडन और यू.के. जैसे विकसित देश भी ई.वी.एम का प्रयोग नहीं करते।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने कुछ राज्यों द्वारा अपनाई जा रही हद से अधिक क्षेत्रीयकरण की नीति का सख्त विरोध करते हुए कहा, ‘‘अमरिन्दर भारत के लिए भारतीयों के हक में खड़ा है।’’

उन्होंने गुरूवार को कहा, ‘‘मेरा मानना है कि भारत एक देश है।’’ उन्होंने आगे कहा कि हद से अधिक क्षेत्रीयकरण ठीक नहीं है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह हाल ही में पड़ोसी राज्य हरियाणा द्वारा निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण सम्बन्धी किये ऐलान के मद्देनजर स्थानीय नौजवानों के लिए नौकरियों में आरक्षण बारे पूछे एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

यह बताते हुए कि भारत में ऐसा कोई राज्य नहीं है जहाँ पंजाबीयों ने तरक्की न की हो और बढिय़ा काम न किया हो, मुख्यमंत्री ने सवाल किया, ‘‘पंजाबी हिमाचल प्रदेश में जमीन क्यों नहीं खरीद सकते या कश्मीर और राजस्थान में उनको ऐसे अधिकार क्यों नहीं हैं।’’

उन्होंने चेतावनी दी ‘‘यदि हम क्षेत्रीयकरण लागू करेंगे तो हमें इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे।’’

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने गुरूवार को कहा कि बेअदबी मामलों की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एस.आई.टी.) जल्द ही अपनी जांच मुकम्मल कर लेगी और यदि वह किसी भी सीनियर पुलिस अधिकारी या राजनीतिज्ञ के खिलाफ चालान पेश करने का फैसला करेगी तो वह दखलअन्दाजी नहीं करेंगे।

मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी एस.आई.टी. प्रमुख कुंवर विजय प्रताप सिंह के उस बयान के दो दिन बाद आई जिसमें उन्होंने कहा थी कि बहबल कलाँ और कोटकपूरा गोलीकांड मामलों में अंतिम सप्लीमैंटरी चालान जल्द ही फरीदकोट अदालत में पेश कर दिया जायेगा। एस.आई.टी. द्वारा दो मामलों में 9 चालान पहले ही पेश किये जा चुके हैं।

राज्य सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) द्वारा जानबूझ कर मामले में देरी की गई परन्तु पंजाब पुलिस द्वारा अब फाइलें हासिल कर ली गई हैं और सब कुछ नियंत्रण अधीन है।

उन्होंने कहा कि मामलों की जांच कानूनी निष्कर्ष तक पूरी की जायेगी और दोषियों को सजा मिलेगी चाहे वह कोई भी हो।

अपनी सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धियां गिनवाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने नशों की सप्लाई की कमर तोडऩे में सफलता हासिल की है जिस संबंधी उन्होंने ने गुटका साहिब हाथ में पकड़ कर कसम ली थी। मीडिया द्वारा किये जा रहे गलत दावों के उलट मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि उन्होंने यह कभी भी नहीं कहा था कि वह ड्रग माफिया का मुकम्मल तौर पर सफाया कर देंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने यह स्पष्ट कहा था - मैं नशों की कमर तोड़ कर रख दूंगा।’’

पंजाब पुलिस के ऑपरेशन रेड रोज़ की सफलता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में नशेे की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है।

इसी तरह गैर-कानूनी शराब के मामलेे में उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष के नकली शराब की दुखद घटना के सभी दोषियों और खन्ना गैर-कानूनी फैक्ट्री केस की पहचान करकेर चार्जशीट करने से सप्लाई चेन तोड़ दी गई है। उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि देश की कानूनी प्रणाली धीमा चलती है जिस कारण दोषियों को सजा देने में देरी होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न माफिया (रेत, शराब, ट्रांसपोर्ट, नशा आदि) को खत्म करने की प्रक्रिया निरंतर जारी है और पिछले चार वर्षों के दौरान इनकी कमर बुरी तरह तोड़ दी गई है परन्तु उन्होंने कहा कि यह धीमी प्रक्रिया है और यह एक दिन में नहीं हो सकता।

अकाली-भाजपा शासन के दौरान रेत के द्वारा होती 35 करोड़ रुपए की आय मौजूदा समय में बढक़र 350 करोड़ रुपए तक पहुंच जाने बारे हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रगति स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है। इसी तरह शराब की खरीद से आबकारी राजस्व जो अकाली सरकार के समय 4300 करोड़ रुपए था, वह मौजूदा वित्त वर्ष में 7200 करोड़ रुपए हो गया है। उन्होंने खुलासा किया कि यह सब कोविड की स्थिति के कारण पैदा हुई समस्या के बावजूद संभव हुआ है।

गैंगस्टर से राजनीतिज्ञ बने मुख्तार अंसारी जो मौजूदा समय में पंजाब की जेल में बंद है जिसकी उत्तर प्रदेश द्वारा सुपुर्दगी माँगी गई है, के खिलाफ आपराधिक मामलों सम्बन्धी पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि मामला अदालत में है। परन्तु उन्होंने कहा कि अगर अंसारी ने पंजाब में जुर्म किया है तो उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

अमरिन्दर सिंह ने गुरूवार को यह स्पष्ट करते हुए कि उनकी सरकार केंद्र के कृषि कानूनों के पूरी तरह खिलाफ है, भारत सरकार से अपील की कि वह हठपूर्ण रवैया अपनाने की बजाय इन कानूनों को तुरंत रद्द करे और इस मामले पर किसानों के साथ नये सिरे से बातचीत करके नये कानून लाए।

मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान करते हुए कहा, ‘‘अगर राष्ट्रपति ने राज्य के संशोधन बिलों को सहमति न दी तो हम सुप्रीम कोर्ट जायेंगे।’’ उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि विधानसभा में सभी पार्टियों की वोटिंग के साथ सर्वसम्मति से पास किये बिलों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए आगे भेजने की बजाय राज्यपाल ने अपने पास रोक कर रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह दुखद था कि इस मुद्दे पर अकालियों और आप की तरफ के बाद में राजनैतिक खेल खेलना शुरू कर दिया गया।

राज्य सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर पत्रकारों को संबोधन करते हुए मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि किसानों और भारत सरकार के बीच बातचीत में आई रुकावट को खत्म करने के लिए उनको कोई भी बीच का रास्ता नहीं सूझ रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र को कृषि कानून रद्द करने चाहिएं और किसानों के साथ बैठ कर इनकी जगह नये कानून बनाने चाहिएं।

उन्होंने केंद्र को पूछा, ‘‘इसको प्रतिष्ठा का सवाल बनाने की क्या जरूरत है?’’ किसान आंदोलन में औरतों और बुजुर्गों के साथ बैठे गरीब किसानों का हवाला देते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘‘अपने अडिय़ल रवैया के साथ आप और कितने किसानों की मौत होने देना चाहते हो?’’ उन्होंने कहा कि जब से आंदोलन शुरू हुआ है, तब से लेकर अब तक अकेले पंजाब के ही 112 किसान मारे जा चुके हैं। उन्होंने पूछा, ‘‘गत समय में संविधान में 100 से अधिक संशोधन हो चुके हैं तो इन कानूनों को रद्द करने के लिए फिर ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता?’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह यह बात समझ नहीं पा रहे हैं कि केंद्र सरकार किसानों और आढ़तियों के बीच लंबे समय से अजमाए संबंधों को तोडऩे की कोशिश क्यों कर रही है। उन्होंने कहा कि ये नये कानून मौजूदा प्रणाली में कोई सुधार नहीं करेंगे बल्कि कृषि सैक्टर को तबाह कर देंगे। उन्होंने कहा कि आढ़तियों की जगह अनजान कॉर्पाेरेटों के आने से गरीब किसान (पंजाब के 75 प्रतिशत किसान) जरूरत पडऩे पर कहाँ जाएंगे? उन्होंने किसानों को सीधी अदायगी सम्बन्धी एफ.सी.आई. की नयी नीति बारे पूछे एक सवाल के जवाब में कहा कि दिल्ली कृषि को समझ नहीं रही। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस नीति के हक में नहीं हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कृषि राज्य का विषय है और केंद्र को इस मामले सम्बन्धी कानून बनाने का कोई अधिकार नहीं था। उन्होंने राज्य के अधिकारों में रुकावट पैदा करके संविधान में दर्ज संघीय ढांचे को कमजोर करने की कोशिश करने के लिए केंद्र सरकार की निंदा की।

कृषि कानूनों सम्बन्धी फैसले के लिए केंद्र सरकार की उच्च स्तरीय समिति के मैंबर होने संबंधी उनके बारे गलत जानकारी फैलाने वालों पर बरसते हुए मुख्यमंत्री ने फिर से स्पष्ट किया कि जब पैनल की शुरुआत की गई थी तो पंजाब इसका मैंबर ही नहीं था और इसकी पहली मीटिंग में नीतिगत फैसले (पंजाब की अनुपस्थिति में) पहले ही ले लिए गए थे और पंजाब को बाद में शामिल किया गया था। दूसरी मीटिंग में वित्तीय एजंडे सम्बन्धी चर्चा हुई और तीसरी मीटिंग में कृषि सचिव मौजूद थे। उन्होंने इस सम्बन्धी विपक्ष के बेबुनियाद दोषों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा ‘‘मैं इस प्रक्रिया का हिस्सा कहाँ से बन गया?’

राज्यपाल की तरफ से राज्य के बिलों को अभी तक रोके रखने सम्बन्धी मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘‘क्या हम लोकतंत्रीय देश का हिस्सा हैं या नहीं?’’ पंजाब ने सर्वसम्मति के साथ फैसला लिया और राज्यपाल द्वारा इनको रोके रखना शोभा नहीं देता। संविधान की धारा 254 (2) के अंतर्गत राज्यपाल का फर्ज बनता था कि वह इन बिलों को सहमति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजते। उन्होंने याद दिलाया कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम के मामलेे में, भाजपा के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने भी इसी तरह के संशोधन बिल पास किये थे जिस संबंधी तत्कालीन राष्ट्रपति ने सहमति दी थी।



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