top of page
  • globalnewsnetin

जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख: चिकित्सा शिक्षा में आगे बढ़ते कदम


एक प्रभावी स्वास्थ्य सेवा वितरण व्यवस्था की नींव इसके सक्षम और

प्रशिक्षित मानव संसाधनों में निहित है। 1.3 बिलियन लोगों की आवश्यकतानुसार

सेवाएं प्रदान करने के साथ भारतीय चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी

व्यवस्थाओं में से एक है। पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति भी देखी

गई है। भारत सरकार ने संख्या (बढ़ते प्रवेश) और गुणवत्ता (चिकित्सा छात्रों को

बेहतर प्रशिक्षण) दोनों के संदर्भ में चिकित्सक-रोगी अनुपात में सुधार लक्ष्य को प्राप्त

करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 को अधिनियमित किया गया है

जिसके तहत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर एक राष्ट्रीय चिकित्सा

आयोग का गठन किया जाएगा। यह चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और

इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक दीर्घकालीन मार्ग तय

करेगा। पूर्वस्नातक/स्नातकोत्तर मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए समान

परामर्श के प्रावधानों के साथ नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) का

शुभारंभ किया गया है, इससे प्रवेश प्रक्रिया में योग्यता और पारदर्शिता को बढ़ावा

मिलेगा और सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा सामने आएगीं। इसके अलावा, पिछले छह वर्षों में 158

नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं और एमबीबीएस की सीटें 2014 की 51,112 से

बढ़ाकर 2019 में 80,312 (57% की वृद्धि) की गई जबकि पीजी सीटों में 23,903

(यानी 79%) की वृद्धि के साथ इन्हें 2014 की 30,191 सीटों से 2020 में 54,094

तक किया गया। इसके अलावा, नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्र

प्रायोजित योजना के तहत, 157 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की योजना बनाई

गई है, इनमें से 43 पहले ही संचालित हो चुके हैं। इन उपायों से लाभरहित क्षेत्रों में

तृतीयक देखभाल और चिकित्सा शिक्षा के विस्तार के मामले में बेहतर पहुंच बढ़ रही

है।

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख को भी इन प्रयासों से बहुत

लाभ मिला है। इस लेख में ऐसे कुछ कदमों की जानकारी दी गई है।

केंद्र सरकार पहाड़ी क्षेत्रों और कुछ विशेष राज्यों में चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा

देने के अपने प्रयासों के द्वारा चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए


जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार (वर्तमान में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख संघशासित

प्रदेश) की सहायता कर रही है। लगभग 1.25 करोड़ की आबादी वाले जम्मू और

कश्मीर एवं लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों में वर्ष 2018-19 तक केवल 4 मेडिकल

कॉलेज (03 सरकारी और 01 निजी) थे, जिससे हर वर्ष केवल 500 एमबीबीएस

छात्रों को प्रशिक्षित किया जाता था। जिसके कारण संघशासित प्रदेशों के कई

प्रतिभाशाली छात्रों को भारत में अन्य राज्यों अन्यथा विदेशों के चिकित्सा संस्थानों में

शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रवेश लेना पड़ता था।

“वर्तमान जिला/रेफरल हॉस्पिटल से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना” के

लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) का शुभारंभ राज्य में एक जबरदस्त

सकारात्मक परिवर्तन का आधार बना है।

योजना:

स्वास्थ्य से संबंधित क्षेत्रों में मानव संसाधन की कमी को पूरा करने के लिए,

सरकार ने "जिला/रेफरल अस्पतालों के उन्नयन के साथ नए मेडिकल कॉलेजों की

स्थापना" के लिए एक योजना प्रारंभ की है। इस योजना के तहत देश के पूर्वोत्तर और

विशेष श्रेणी वाले राज्यों में केंद्र सरकार और राज्यों के बीच निधि की सहभागिता

90:10 के अनुपात में और अन्य राज्यों में 75:25 के अनुपात में की जाएगी।

मौजूदा जिला/रेफरल अस्पतालों के साथ संबद्ध करते हुए नए सरकारी मेडिकल

कॉलेजों के खुलने से, एमबीबीएस की सीटों में पर्याप्त संख्या में वृद्धि हो रही है,

जिससे देश में चिकित्सा शिक्षा सस्ती हो रही है और देशभर में जनसंख्या और

मानव संसाधनों के वितरण के संदर्भ में चिकित्सकों की कमी को भी दूर किया जा

रहा है।

संघशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर

पूर्वस्नातक चिकित्सा शिक्षा:

योजना के तहत, राज्य सरकार को 7 नए मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृती दी

गई है। विशेष राज्य व्यवस्था के अनुसार, योजना के संबंध में 90 प्रतिशत निधि

केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। पहले चरण में, अनंतनाग, बारामुला, डोडा,

कठुआ और राजौरी में पांच मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। इनमें से चार

मेडिकल कॉलेज 400 अतिरिक्त एमबीबीएस सीटों के साथ (अनंतनाग, राजौरी,


कठुआ और बारामूला) 2019-20 से संचालन में आ चुके हैं। डोडा का मेडिकल कॉलेज

भी शीघ्र ही संचालित होने की संभावना है। इनके अलावा, योजना के तीसरे चरण में

सरकार द्वारा उधमपुर और हंदवाड़ा (कूपवाड़ा) में दो और मेडिकल कॉलेजों को

अनुमोदित किया गया है। योजना के तहत लेह में एक नए मेडिकल कॉलेज को भी

स्वीकृत किया गया है, इससे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को 100 सीटों के साथ

अपना पहला मेडिकल कॉलेज मिल गया है।

वर्तमान में, जम्मू और कश्मीर में एक निजी मेडिकल कॉलेज और सात

सरकारी मेडिकल कॉलेज संचालन में हैं, जिनकी कुल क्षमता 985 सीटों की है। सात

सरकारी मेडिकल कॉलेजों में से चार की स्थापना उपरोक्त केंद्रीय योजना के तहत की

गई है। इस योजना में अनुमोदित तीन मेडिकल कॉलेजों के कार्यशील होने के बाद,

जम्मू और कश्मीर में पूर्वस्नातक एमबीबीएस सीटों की कुल संख्या में 300

अतिरिक्त सीटों की वृद्धि होगी।

इसके अलावा, संघशासित प्रदेश में दो नए एम्स भी स्थापित किए गए हैं,

जिनमें से एक विजयपुर, सांबा और एक अवंतीपुरा, पुलवामा में हैं। एम्स, विजयपुर

के लिए एमबीबीएस कक्षाएं वर्ष 2020-21 में आरंभ होने की संभावना है।

स्नातकोत्तर मेडिकल शिक्षा:

स्नातकोत्तर मेडिकल शिक्षा में सुधार के लिए, सरकार 1.20 करोड़ रुपये की

प्रोत्साहन राशि प्रदान कर रही है, जिसमें से 90 प्रतिशत केंद्रीय योगदान के रूप में

प्रदान किया जाएगा। योजना के तहत केंद्रशासित प्रदेश को मेडिकल कॉलेजों

जम्मू/श्रीनगर और एसकेआईएमएस बेमिना, श्रीनगर में अतिरिक्त स्नातकोत्तर सीटें

आवंटित की गईं। इन कदमों के साथ, केंद्रशासित प्रदेशों में स्नातकोत्तर सीटों की

संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। यह संख्या 2013-14 की 289 सीटों से 2019-20

में 568 सीट हो गई है। इसके अतिरिक्त, 51 डिप्लोमा सीटों को डिग्री सीटों में

परिवर्तित कर दिया गया है, जिससे राज्य में प्रशिक्षित विशेषज्ञों की संख्या बढ़ गई

है।

इनके अलावा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड ने डीएनबी कार्यक्रम के त्वरित विस्तार के

शासनादेश के साथ पिछले तीन वर्षों में जम्मू और कश्मीर में लगभग 50 सीटों की

वृद्धि की है।


पिछले वर्षों में किए गए सरकार के प्रयास काफी फलदायी रहे हैं। इसी तरह के

सुधार अन्य क्षेत्रों जैसे नर्सिंग शिक्षा, दंत चिकित्सा शिक्षा और संबद्ध एवं स्वास्थ्य

देखभाल कार्यक्षेत्रों में भी किये जा रहे हैं। सरकार ने सभी संबद्ध और स्वास्थ्य

संबंधी पेशेवरों के लिए एक नियामक निकाय के लिए ‘दी नेशनल कमीशन फॉर

एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स बिल’ नामक एक नया कानून लाने को स्वीकृति दे

दी है। इसे संसद के आगामी सत्रों में पेश किया जाएगा।

कहने की आवश्यकता नहीं है कि स्वास्थ्य देखभाल पेशवरों की गुणवत्ता और संख्या

दोनों में सुधार के इन प्रयासों से संघशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में

स्वास्थ्य सेवा वितरण में महत्वपूर्ण रूप से सुधार होगा। यह कदम हमारे नागरिकों

के बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण को प्रोत्साहन देने और अधिक उत्पादक कार्यबल को

प्रशिक्षित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण हैं।

*डॉ. यशपाल शर्मा,एमबीबीएस, एमएचए (एम्स, नई दिल्ली)*

*निदेशक समन्वय न्यू मेडिकल कॉलेज और महानिदेशक जेके मेडिकल सप्लाइज

कॉर्पोरेशन लिमिटेड*

0 comments
bottom of page