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अमित शाह बोले: उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करना, कांग्रेस नेता का वीडियो बना, लोकतंत्र की परंपरा पर गहरा आघात


चंडीगढ़ : विपक्ष को यह आभास नहीं है कि संवैधानिक पद इस देश में संविधान को लागू करने का माध्यम होते हैं। यही वजह है कि इन्हें राजनीति से ऊपर माना जाता है।  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को चंडीगढ़ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।



वहीं विपक्षी सांसदों पर जमकर हमला बोला। तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने और राहुल गांधी द्वारा वीडियो बनाने के मामले पर भी अमित शाह ने अपनी प्रतिक्रिया दी और विपक्ष को संविधान और लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि हमें संसदीय ज्ञान बांटने वालों को कहना चाहता हूं कि आपने भारत के लोकतंत्र के उज्जवल परंपरा को गहरा आघात पहुंचाया है। विपक्ष को यह आभास नहीं है कि संवैधानिक पद इस देश में संविधान को लागू करने का माध्यम होते हैं। यही वजह है कि इन्हें राजनीति से ऊपर माना जाता है। इस देश ने कभी संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के सम्मान को चोट नहीं पहुंचाई।

उन्होंने कहा कि देश को याद रखना चाहिए कि जब तीन महत्वपूर्ण कानूनों पर चर्चा हो रही थी तब विपक्ष सांविधानिक पद पर बैठे महानुभाव का अपमान कर रहा था।

अमित शाह ने कहा कि जब मैं संसद में देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को बदलने वाले तीन महत्वपूर्ण कानून पेश कर रहा था तो मेरे मन में बहुत इच्छा थी कि इसमें विपक्ष के विचारों को भी शामिल किया जाए। मगर दुर्भाग्य की बात रही कि बहाना बनाकर पूरे विपक्ष ने विधेयक पर चर्चा का बहिष्कार किया। वहीं जब इन तीनों विधेयकों पर संसद के अंदर बहस हो रही थी तब ही विपक्ष के सदस्य संसद के बाहर महामहिम की मिमिक्री कर रहे थे। इससे ज्यादा निंदनीय काम कोई और हो ही नहीं सकता। कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी के नेता इसकी वीडियोग्राफी कर रहे थे। मखौल उड़ा रहे थे। इस देश में सरकारें आईं और गईं लेकिन हमेशा संविधानिक पदों की मर्यादा को बनाए रखा गया।

अमित शाह ने बताया कि गुरुवार को ही देश की क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में परिवर्तन लाने वाले तीन युगांतकारी विधेयकों को कानून में परिवर्तित किया है। इन कानूनों के लागू होने से हमारे कानून आधुनिक से आधुनिक तकनीक को स्वीकारने के योग्य होंगे। इसके खातिर जरूरी ढांचा बनाया जाएगा। कनेक्टिविटी से लेकर हार्डवेयर की व्यवस्था होगी। वहीं देश की सभी शेड्यूल भाषाएं एक-दूसरे से बातचीत कर सकें, ऐसे सॉफ्टवेयर का निर्माण होगा। पुलिस स्टेशन से लेकर डीजीपी ऑफिस, कोर्ट, एसएफएल और सचिवालय सभी आपस में जुड़ सकेंगे। इस तरह की कंप्लीट लीक प्रूफ व्यवस्था बनाने का मूल इन कानूनों में डाला गया है।  गृह मंत्री शाह ने कहा कि मुझे पूरा भरोसा है कि इनके लागू होने से कश्मीर से कन्याकुमारी और द्वारका से कामाख्या तक किसी भी आपराधिक मामले का निपटारा तीन साल के अंदर होगा।

उन्होंने यह भी बताया कि इन कानूनों को बहुत परामर्श और चर्चा के बाद तैयार किया गया है। लगभग चार साल तक परामर्श की प्रक्रिया चलती रही। हाईकोर्ट, बार एसोसिएशन, विश्वविद्यालय, कानून के विद्यार्थी, पुलिसकर्मियों और कानून की पुस्तक छापने वाले प्रकाशकों से बात की गई। बिल बनाने के बाद इसे गृह विभाग की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया। कमेटी ने कई सारे संशोधन का सुझाव दिया। इसके बाद ये विधेयकों को संसद में पेश किया गया।

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