top of page
  • globalnewsnetin

आश्रय, पंजाब और हरियाणा के स्कूलों में एमईडब्ल्यूएस के एक लाख एआई लीडर्स को तैयार करेगा


चंडीगढ़: आश्रय ने भारत के 10 राज्यों में 50 से अधिक स्कूलों में अपनी एआई शिक्षा को सफलतापूर्वक लागू किया है। इसने जयपुर में एवीएम अंबाबाड़ी में भारत का पहला बैगलेस स्कूल बनाया है। अब आश्रय ने मौर एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी (एमईडब्ल्यूएस) के साथ हाथ मिलाया है। इसका मकसद 100,000 छात्रों के लिए सीखने में बदलाव लाना और उन्हें दुनिया भर में प्रतिस्पर्धा करने में मदद करना है।

अपनी तरह की यह पहली पहल:

आश्रय के एक टैबलेट प्रति बच्चा (ओटीपीसी) कार्यक्रम के तहत छात्रों को एडुफ्रंट के एआई ट्यूटर ऐप के साथ पहले से लोड की गई टैबलेट प्रदान की जाएगी। यह थिम्बल द्वारा यूएस सर्टिफिकेशन के साथ एआई एकीकृत एसटीईएम और रोबोटिक्स कार्यक्रम, पिंगला को लागू करेगी।

आश्रय और एमईडब्ल्यू की ओर से क्रमश श्री सतीश झा और श्री माखन लाल ने अपने संगठनों की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

आश्रय के अध्यक्ष श्री सतीश झा ने कहा, “हम स्केलेबल और टिकाऊ तरीके से शिक्षा और सीखने के बीच के अंतर को पाटने का प्रयास कर रहे हैं ताकि प्रत्येक छात्र एआई और आधुनिक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर अपनी पूरी क्षमता का दोहन कर सके। यह पहल 2027 तक देश में 50 लाख शिक्षार्थियों के जीवन को बदलने के आश्रय के बड़े लक्ष्य का हिस्सा है।

इस साझेदारी के जरिए आश्रय स्कूलों के लिए एडुफ्रंट का "ट्रिपल ऑफरिंग" बंडल प्रदान कर रहा है।

1. एडुफ्रंट ऐप: एआई ट्यूटर

2. पिंगला - एआई-एसटीईएम और रोबोटिक्स प्रोग्राम

3. गेमिफाइड एआई इंग्लिश कम्युनिकेशन प्रोग्राम

इससे छात्र विभिन्न विषयों में अपने सीखने के अनुभव को बेहतर करने जैसे की क्रिटिकल थिंकिंग, रचनात्मकता और समस्या-समाधान कौशल विकसित करने के लिए एआई का लाभ उठा सकेंगे।"

MEWS के संस्थापक, श्री मक्खन लाल गर्ग ने कहा, “MEWS पिछले एक दशक से ग्रामीण स्कूलों में संलग्न है। लेकिन, यह पहल अपनी तरह की पहली है, MEWS शिक्षा के क्षेत्र में नए आधार स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, और आश्रय के साथ मिलकर, हम एक ऐसे भविष्य को आकार दे रहे हैं जहां AI सीखना सभी के लिए सुलभ हो जाएगा।

आश्रय सोसायटी के बारे में :

आश्रय एक गैर-लाभकारी संस्था है। इसकी स्थापना 1997 में हुई थी। यह पूरे भारत में स्कूलों और छात्रों को नवीन शिक्षा समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

आश्रय उन स्कूलों में आधुनिक उपकरणों और सीखने की तकनीकों के साथ शिक्षा को बदल रहा है जो संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं। आश्रय इन स्कूलों को वैश्विक लागत के एक अंश से विश्व स्तरीय बना रहा है।

जयपुर के अंबाबाड़ी स्कूल के कई छात्रों ने पिंगला कार्यक्रम तैयार करने वाले अमेरिकी संस्थान, थिम्बल.आईओ, द्वारा करवाए गए परीक्षणों में अमेरिकी छात्रों को पछाड़ दिया है।

आश्रय की पहल ने शिक्षकों के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन की उत्पादकता और प्रभावशीलता में सुधार किया है। इससे उन्हें छात्रों के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर मिला है। आश्रय का लक्ष्य उन्हें दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के समकक्ष बनाना है।

मॉर एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी के बारे में:

MEWS उत्तर भारत में छात्रों के विकास में सहायता करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने के मिशन के साथ काम कर रहा है। MEWS सूक्ष्म कौशल सिखाने पर ध्यान केंद्रित करता है, जो इन विशेष छात्रों को आत्मनिर्भर बनाते हैं।

MEWS इन छात्रों को पाठ्येतर गतिविधियों में संलग्न करता है ताकि वे विभिन्न प्रकार के कौशल और तकनीक सीखें। MEWS से जुड़े प्रशिक्षक इन छात्रों को सहकर्मी से सहकर्मी संचार, समन्वय और टीम वर्क के बारे में जागरूक करते हैं। इससे नेतृत्व और टीम वर्क जैसे सॉफ्ट स्किल इन स्टूडेंट्स में पनपते हैं।

पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के 500 स्कूलों में 50,000 से अधिक छात्रों को इनकी परामर्श सेवाओं से लाभ हुआ है। इसके अतिरिक्त, ये छात्र अपने सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़े हैं और अब अपने चुने हुए करियर में सफल हैं।

एमईडब्ल्यूएस ग्रामीण क्षेत्रों में नए पुस्तकालय स्थापित करने के लिए पंजाब लाइब्रेरी मूवमेंट में भी सहयोग कर रहा है। जहां ऐसी सुविधाओं तक पहुंच नहीं है वहां स्थानीय पंचायतों की सहायता से मौजूदा लाइब्रेरी को अत्याधुनिक ई-लाइब्रेरी में अपग्रेड किया जा रहा है। यह पहल ग्रामीण पंजाब के निवासियों को आधुनिक, प्रौद्योगिकी-संचालित पुस्तकालय प्रदान करती है जो उनकी शैक्षिक और सूचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है। स्थानीय पंचायतों के साथ साझेदारी करके, एमईडब्ल्यूएस और पंजाब लाइब्रेरी मूवमेंट यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ये पुस्तकालय प्रत्येक समुदाय की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप हों, जिससे क्षेत्र में सीखने और विकास की संस्कृति को बढ़ावा मिले।


0 comments
bottom of page