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गलवान घाटी खाली करवाने के लिए चीन को अल्टीमेटम जारी किया जाये -कैप्टन


चीन ने समझौता तोड़ा और भारत समझौते की शर्तों की पालना करने के लिए पाबंद नहीं

फौजी होने के नाते मुझे अपनी राय रखने का पूरा हक -सुखबीर की टिप्पणी का दिया जवाब

चंडीगढ़, (अदिति): चीन को गलवान घाटी के कब्ज़े अधीन क्षेत्र में से वापस भेजने के लिए ज़ोरदार कदम उठाने की वकालत करते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भारत सरकार से अपील की कि वह चीन को कब्ज़े वाली ज़मीन तुरंत खाली करवाने के लिए अल्टीमेटम जारी करे जिसमें स्पष्ट चेतावनी दी जाये कि ऐसा न करने की सूरत में उनके लिए गंभीर नतीजे निकलेंगे।

चण्डीगढ़ के हवाई अड्डे पर पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि हालांकि ऐसी कार्यवाही से भारत को कुछ निष्कर्ष भुगतने पड़ेंगे परन्तु क्षेत्रीय अखंडता पर ऐसी घुसपैठ और हमले जारी रखने को और सहन नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री ने यहाँ तीन सैनिकों को श्रद्धांजलियां भेंट की जिनके पार्थिव शरीरों को गलवान घाटी से लाया गया। संगरूर से सैनिक गुरबिन्दर सिंह, मानसा से गुरतेज सिंह और हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) से अंकुश के पार्थिव शरीरों पर फूल मालाएंं भेंट करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने उनके महान बलिदान को सजदा करते हुये कहा कि देश सदा उनका ऋणी रहेगा।

चीन के प्रति शान्ति रखने की नीति संबंधी अपने आप को पूरी तरह इसके खि़लाफ़ बताते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पिछले तजुर्बे से पता लगता है कि जब भी आक्रमकता का सामना हुआ तो चीन वाले हमेशा पीछे हट गए। उन्होंने कहा कि इनकी गीदड़ भभकियों का जवाब देने का समय है और हर भारतीय भी यही चाहता है कि चीन को मुँह तोड़ जवाब दिया जाये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चीन अपनी सालामी चालों के द्वारा साल 1962 से भारत को टुकड़ा दर टुकड़ा हथिया रहा है। उन्होंने इन घुसपैठों का अंत करने की माँग की जिसको 60 सालों की कूटनीति रोकने में असफल रही है।

कथित समझौते जिसने भारतीय फ़ौज को गोली चलाने से रोका (चाहे उनके पास हथियार थे) पर सवाल उठाते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने यह जानने की माँग की कि ऐसा समझौता कौन लेकर आया। उन्होंने कहा, ‘एक पड़ोसी दुश्मन के साथ ऐसा समझौता कैसे हो सकता है।’

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी स्थिति में यह स्पष्ट है कि भारतीय सैनिकों पर हमला चीन की तरफ से पहले ही पूर्व में किया गया था जो बेढंगे परन्तु ख़तरनाक हथियारों से तैयार होकर आए थे। उन्होंने कहा कि कीलों वाली डांगों और कँटीली तारों वाले डंडों के साथ उन्होंने हमारे फ़ौजी जवानों पर हमला बोल दिया और उन्होंने जो भी समझौता हुआ था, उसे रद्द कर दिया। मौके की स्थिति के मुताबिक भारतीय जवानों को बदले में हमला करने के पूरे अधिकार थे, उन्होंने कहा कि भारत समझौते की शर्तों की पालना के लिए अकेला ही पाबंद नहीं था।

गलवान घाटी में भारतीय जवानों के कमांडिंग अफ़सर के घेरे में आ जाने पर हथियार होने के बावजूद जवान गोली चलाने में असफल क्यों रहे, इस संबंधी जानने की माँग करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि चीनियों के हाथों कर्नल की मौत समूची भारतीय फ़ौज के लिए अपमानजनम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह यह विश्वास नहीं कर सकते कि ऐसा दर्दनाक दृश्य देखने के बावजूद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जवान गोली चलाने में असफल रहे। उन्होंने कहा कि भारतीय फ़ौज अच्छी तरह से प्रशिक्षित और आधुनिक हथियारों से लैस है जिनको ऐसे घृणित और धोखे भरे हमले के मौके पर इसका प्रयोग करने का पूरा हक है।

मुख्यमंत्री ने फ़ौज में अपने सेवाकाल को याद किया जब हथियारबंद जवान रणनीतिक तौर पर तैनात रहते थे जब सीनियर अफ़सर दूसरे तरफ़ मीटिंगें कर रहे होते थे और वह बचाव कार्यवाही के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उन्होंने पूछा, ‘यह घटित होते समय जवान तैनात क्यों नहीं थे? और यदि थे तो अफसरों और जवानों के हमले की मार के नीचे आने पर उनको बचाने के लिए हथियारों का प्रयोग क्यों नहीं किया गया।’

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हालात और बिगडऩे दिए जाते हैं तो चीन की तरफ से पाकिस्तान के साथ मिल कर अन्य भारतीय इलाकों पर कब्ज़ा जमाने का हौंसला बढ़ेगा जिसको किसी भी कीमत पर रोकना होगा।

इसी दौरान शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल की तरफ से टवीट के द्वारा गलवान घाटी के मुद्दे पर उनपर राजनीति खेलने के लगाऐ दोष का प्रतिक्रिया देते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि एक पूर्व फ़ौजी होने के नाते उनको मसले संबंधी अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि 20 जवानों की मौत हो जाने पर कोई फ़ौजी यहाँ तक कि कोई भारतीय भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सुखबीर की तरफ से पेश की जा रही भ्रामक तस्वीर के उल्ट वह इस नाजुक स्थिति में हर भारतीय की तरह भारत सरकार के साथ खड़े हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि परन्तु इससे मौजूदा स्थिति संबंधी उनको एक फ़ौजी के तौर पर बोलने या विचार रखने के हक से एकतरफ़ नहीं किया जा सकता। यह स्थिति पूरे देश के लिए चिंता का विषय है।

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