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छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को सरकारी कर्मचारियों की सहमति व चर्चा के बिना स्वीकार करना निंदनीय


6 वे कमीशन में कर्मचारियों को वास्तविक राहत देने के बजाय कैप्टेन सरकार ने राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की है जो भी असफल रही : चुघ

चंडीगढ़ (गुरप्रीत) भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को सरकारी कर्मचारियों की सहमति के बिना स्वीकार करने की निंदा करते हुए कहा कि पंजाब सरकार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागु करने में कर्मचरियो के साथ विचार विमर्श करने में असफल रही है। चुग ने राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की कठिनाइयों के मद्देनजर वेतन आयोग की सिफारिशों की समीक्षा करने में विफल रहे है इस समीक्षा में ना कर्मचारियों से पूछा गया है, ना ही उनके सुझाव वेतन आयोग कि रिपोर्ट में शामिल किये गए है। चुग ने कहा कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो कर्मचारियों की मांगो के अनुसार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को अक्सर शह लागु करेंगी।

चुग ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी के समय में डॉक्टरों की मांगों के प्रति अमरिंदर सरकार का रवैया बहुत ही असंवेदनशील था ओर इस 6 वे कमिशन की रिपोर्ट में ना ही डॉक्टरों की चिंता की है और ना ही स्वास्थ्य कर्मचारियों। चुघ ने कहा कि राज्य सरकार को वेतन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने से पहले सरकारी कर्मचारियों के साथ उनकी शिकायतों को सुनने के लिए चर्चा करनी चाहिए थी।

चुग ने कहा, "अब ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री कर्मचारियों को वास्तविक राहत देने के बजाय राजनीतिक लाभ लेने की असफल कोशिश कर रहे है ।"

चुग ने कहा कि पंजाब में जिस तरह का शासन है, उसे देखते हुए चारों तरफ सभी वर्गों में असंतोष का माहौल है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य में शराब माफिया, रेत बजरी माफिया, ठेकेदार माफ़िया , और परिवहन माफिया चलाये जा रहे हैं ऐसे माहौल में सरकारी कर्मचारियों को कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए थी

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