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भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब मंत्रिमंडल द्वारा कस्टम मिलिंग पॉलिसी को हरी झंडी


राज्य के किसानों के हितों की सुरक्षा के उद्देश्य से पहल करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने खरीफ की फ़सल के मंडीकरण सीजन-2022-23 के लिए धान की मिलिंग के लिए ‘द पंजाब कस्टम मिलिंग पॉलिसी’ को मंजूरी दे दी है, जिससे खऱीदे गए धान को राज्य में स्थापित चावल मिलों के द्वारा धान से चावल निकालने के उपरांत भारतीय खाद्य निगम को मुहैया करवाए जा सकें। यह फ़ैसला आज सुबह पंजाब सिविल सचिवालय-1 में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता अधीन हुई मंत्री मंडल की मीटिंग के दौरान लिया गया।

यह खुलासा करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह नीति पंजाब की खरीद एजेंसियों (पनग्रेन, मार्कफैड, पनसप, पंजाब राज्य गोदाम निगम और भारतीय खाद्य निगम) द्वारा भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार खऱीदे जाने वाले धान की मिलिंग को समय पर केंद्रीय पूल में देने के लिए तैयार की जाती है। इस नीति के मुताबिक विभाग द्वारा जारी किए गए खरीद केन्द्रों की अलॉटमैंट सूची के मुताबिक चावल मिलों की खरीद केन्द्रों के साथ लिन्किंग भी समय पर कर दी जाएगी। राज्य की खरीद एजेंसियाँ और चावल मिलों के दरमियान समझौते और योग्यता के मुताबिक मंडियों से धान की फ़सल योग्य चावल मिलों में भंडार किया जाएगा। यह नीति और समझौता निर्धारित करता है कि चावल मिल मालिक भंडार हुए धान के बनते चावल 31 मार्च, 2023 तक मुहैया करना होगा।

सावन की फ़सल मंडीकरण सीजन-2022-23 एक अक्तूबर, 2022 से शुरू होकर 30 नवंबर तक मुकम्मल होगा। इस सीजन के दौरान खऱीदे जाने वाले धान को राज्य में योग्य चावल मिलों में भंडार किया जाएगा। गौरतलब है कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, पंजाब खरीफ की फ़सल के खरीद सीजन से पहले कस्टम मिलिंग पॉलिसी जारी करता है, जिससे भारत सरकार के तय नियमों के मुताबिक राज्य की खरीद एजेंसियों द्वारा खऱीदे धान को पीड़ कर चावल तैयार किया जा सके।

बिजली वितरण प्रणाली को मज़बूत करने के लिए पी.एस.पी.सी.एल. की कार्य योजना को मंज़ूरी कैबिनेट ने ‘रिवैमप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सैक्टर स्कीम’ (आर.डी.एस.एस.) को स्वीकार और लागू करने के लिए पी.एस.पी.सी.एल. की कार्य योजना को आज मंज़ूर कर लिया। आर.डी.एस.एस. लागू होने से वितरण प्रणाली मज़बूत होगी और पी.एस.पी.सी.एल. की कार्यकुशलता और वित्तीय प्रबंधन में सुधार होगा। इसके साथ-साथ उपभोक्ताओं को मानक और भरोसेयोग बिजली आपूर्ति सुनिश्चित बनेगी। 25,237 करोड़ रुपए की इस कार्य योजना में डिस्ट्रीब्यूशन के बुनियादी ढांचे, मीट्रिंग और सूचना प्रौद्यौगिकी/एस.सी.ए.डी.ए से सम्बन्धित काम शामिल हैं।

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