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मोदी सरकार पर दबाव डालने फिर आ गये हजारों किसान



तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के वक्त केंद्र सरकार ने जो वादा किया था, उस पर सवाल करने किसानों का जत्था फिर से दिल्ली की तरफ बढ़ रहा है। उनके एलान के मुताबिक वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी सरकार की वादाखिलाफी पर सवाल पूछेंगे।

पिछले किसान आंदोलन से सबक लेते हुए दिल्ली पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी है, जो ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और बड़ी सभाओं के प्रवेश पर रोक लगाती है। ग़ाज़ीपुर, शंभू और टिकरी जैसी विभिन्न सीमाओं के दृश्य बैरिकेड्स और कंटीले तारों की उपस्थिति को दर्शाते हैं जो सड़क तक पहुंच को बाधित कर रहे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दूसरे चरण का नेतृत्व कर रहा है। 



 

मांगों के लिए पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच का एलान किया था। उन्हें रोकने के लिए 2020 के किसान आंदोलन से सबक लेते हुए पुलिस प्रशासन ने सख्त प्रबंध किए, ताकि किसान आगे न बढ़ सकें। सीमेंट की बैरिकेडिंग लगाकर इनके बीच बजरी डाली गई है, ताकि इन्हें आसानी से तोड़ा न जा सके। भारी पुलिस बल के साथ रैपिड एक्शन फोर्स की भी तैनाती की गई है। 

मांगों को लेकर दिल्ली कूच के लिए अंबाला में शंभू बार्डर पर पहुंचे किसानों व पुलिस के बीच मंगलवार को जबरदस्त टकराव हुआ। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले सैकडों की गिनती में जुटे किसानों को खदेड़ने के लिए हरियाणा पुलिस प्रशासन की ओर से ड्रोन के जरिये आंसू गैस के गोले छोड़े गए। जिससे एकदम से भदगड़ मचने से कईं किसान घायल हो गए, जबकि बड़ी गिनती में किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

 

 

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