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हरियाणा के गांवों में लगाए जाएं 2 करोड़ पौधे


चंडीगढ़, (अदिति) - हरियाणा के शिक्षा एवं वन मंत्री श्री कंवरपाल ने कहा है कि हरियाणा प्रदेश में वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए आगामी वित्त वर्ष में 2200 गांवों में 2 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे।

श्री कंवरपाल अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की ‘‘पुनरुद्धार अवसर आकलन पद्धति (आरओएएम) पर आधारित वन परिदृश्य पुनरुद्धार’’ नामक परियोजना पर दूसरी परामर्श कार्यशाला को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित कर रहे थे। कार्यशाला गुरुग्राम में आयोजित की गई।

कार्यशाला में केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी), राज्य वन विभाग और हरियाणा में भूमि पुनरुद्धार से संबंधित अन्य विभागो के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थिति थे।

श्री कंवरपाल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के वैश्विक संकट के बावजूद हरियाणा में वर्ष 2020-21 में अब तक गहन वनीकरण योजना के तहत 1126 गांवों में 5833 हेक्टेयर क्षेत्र में 96 लाख से अधिक पौधे लगाए गए। इस योजना को और आगे बढ़ाते हुए आगामी वित्त वर्ष में 2200 गांवों में गहन वनीकरण किया जाएगा।

उन्होंने हरियाणा में भूमि पुनरुद्धार की पहल के लिए वन विभाग, संबंधित विभागों, आईयूसीएन व आईओआरए इकोलॉजिक्ल साल्यूशन के प्रतिभागियों की सराहना की। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोविड-19 महामारी हमें यह स्मरण करवाती है कि हम सभी को प्रकृति का संरक्षण करने की दिशा में तत्काल कार्य करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि कई देशी वृक्ष प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं और इन्हें बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हरियाणा बॉन चैलेंज के तहत वैश्विक और राष्ट्रीय लक्ष्य का समर्थन करता है और राज्य सरकार ने राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 20 प्रतिशत तक हरित आवरण बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। राज्य इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 2200 गांवों में गहन वनीकरण की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायती भूमि पर फलदार पौधे लगाने की योजना के तहत प्रदेश में चालू वित्त वर्ष में 35 हेक्टेयर भूमि में 8 वन बाग विकसित किये गए हैं। आगामी वर्ष में भी और वन बाग विकसित कराए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि आरओएएम परियोजना 3.5 वर्षों के पायलट चरण में भारत में भूमि पुनरुद्धार के लिए समन्वय, आयोजन, निगरानी और रिपोर्टिंग के साथ केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का समर्थन करते हुए आईयूसीएन पर बल देती है ताकि क्षमता निर्माण के लिए सर्वोत्तम प्रथाएं एवं निगरानी प्रोटोकॉल विकसित और अपनाए जा सकें। आईयूसीएन और केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस पायलट चरण में पांच राज्यों नामत: - हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और नागालैंड की पहचान की है। भूमि क्षरण की चुनौती से निपटने के लिए पांच राज्यों में भूमि पुनरुद्धार के अवसरों का विश्लेषण करने के लिए आईयूसीएन ने आईओआरए इकोलॉजिक्ल साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (आईओआरए) का सहयोग लिया है जो वानिकी, परिदृश्य प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन शमन के क्षेत्र में विशेषज्ञता के साथ एक पर्यावरण सलाहकार समूह है। राज्य वन विभाग के साथ निकट सहयोग से आईयूसीएन और आईओआरए द्वारा हरियाणा में परियोजना के लिए यह दूसरा हितधारक परामर्श था।

इस कार्यशाला का उद्देश्य हरियाणा में विभिन्न परिदृश्यों में काम करने वाले अधिकारियों की प्रतिक्रिया प्राप्त करना और प्रारंभिक निष्कर्षों को मान्य करना था। कार्यशाला की शुरुआत उन गणमान्य व्यक्तियों की टिप्पणियों के साथ हुई जिन्होंने हरियाणा में भूमि पुनरुद्धार के महत्व पर जोर दिया, ताकि भूमि ह्रास तटस्थता प्राप्त करने के भारत के प्रयासों का समर्थन किया जा सके।

आईयूसीएन इंडिया के कंट्री रिप्रजेंटेटिव डॉ. विवेक सक्सेना ने आरओएएम परियोजना के कार्यान्वयन में आईयूसीएन का सहयोग करने के लिए वन एवं शिक्षा मंत्री और वन विभाग का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि वन अवक्रमण के परिणामस्वरूप मानव वन्यजीवों के निकट संपर्क में आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे पणधारक के सहयोग से भूमि पुनरुद्धार करना संभव है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरओएएम पद्धति वन परिदृृश्य पुनरुद्धार का एक भविष्यवादी दृष्टिकोण है।

राष्ट्रीय वनीकरण और पर्यावरण-विकास बोर्ड के आईजी श्री पंकज अस्थाना ने हरियाणा में आईयूसीएन आरओएएम परियोजना के तहत दूसरी परामर्श बैठक में भाग लेने के लिए राज्य के अधिकारियों को बधाई देते हुए परियोजना में हरियाणा की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।

हरियाणा वन विभाग के पीसीसीएफ व एचओएफएफ श्री वी.एस. तंवर ने वन विभाग द्वारा वन आवरण की निगरानी के लिए इस्तेमाल की जा रही आरएस/जीआईएस तकनीकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आईयूसीएन के सहयोग से इसे और भी अधिक विस्तार से आगे बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने आरओएएम पहल पर विभाग के सहयोग का आश्वासन दिया।

वन एवं वन्यजीव विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती जी.अनुपमा ने कहा कि राज्य में शेष प्राकृतिक वन मुख्य रूप से अरावली की पहाडिय़ों में है। जनसंख्या दबाव और वनस्पति आवरण को बढ़ाने एवं उसके संरक्षण की बढ़ती चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने वन पुनरुद्धार के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सामुदायिक भागीदारी के महत्व पर बल दिया।

इसके उपरांत एक तकनीकी कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें आईयूसीएन-आईओआरए टीम ने हरियाणा वन विभाग के सेवानिवृत्त पीसीसीएफ डॉ.पीपी भोजविद द्वारा हरियाणा के छ: अरावली जिलों में किए गए वन अवक्रमण रुझानों के विस्तृत निष्कर्ष और विश्लेषण प्रस्तुत किये। इससे पता चला कि खनन और अर्ध-शहरी वनों पर दबाव इस क्षेत्र में अवक्रमण का प्रमुख कारण है। इस बात पर सहमति हुई कि जैसे-जैसे वे इस क्षेत्र के लिए पुनरुद्धार कार्य योजना विकसित करने की दिशा में आगे बढेंगे, प्रतिभागी विभाग परियोजना टीम के साथ मिलकर काम करेंगे।



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