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  • जरूरतमंद एवं गरीब लोगों का कल्याण हिमाचल सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताः जय राम ठाकुर

    जरूरतमंद एवं गरीब लोगों का कल्याण हिमाचल सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताः जय राम ठाकुर शिमला (अच्युत धवन) हिमाचल सरकार ने स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है। पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान वृद्धावस्था पेंशन का लाभ प्राप्त करने के लिए आयु सीमा 80 वर्ष निर्धारित की गई थी। वर्तमान प्रदेश सरकार ने पदभार ग्रहण करने के पश्चात मंत्रिमण्डल की पहली बैठक में वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा को 80 वर्ष से घटाकर 70 वर्ष किया। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज कांगड़ा जिला के चम्बी में त्रिदेव सम्मेलन के अवसर पर जनसभा को सम्बोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अब वृद्धवस्था पेंशन की आयु सीमा को घटाकर 60 वर्ष कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की महिलाएं परिवार व समाज को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के संकट के दौर में महिलाओं ने लोगों की सुविधा के लिए कपड़े से बने लाखों मास्क उपलब्ध करवा कर सराहनीय भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि चम्बा में आयोजित राज्य स्तरीय हिमाचल दिवस समारोह के अवसर पर की गई घोषणाओं को भी पूरा कर दिया गया है। अब प्रदेश में हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में यात्रा करने पर महिलाओं से 50 प्रतिशत किराया ही लिया जाएगा। इस निर्णय को मंत्रिमण्डल ने अपनी स्वीकृति प्रदान की है। मुख्यमंत्री ने महत्वकांक्षी आयुष्मान भारत योजना का विवरण देेते हुए कहा कि प्रदेश में इस योजना के लाभार्थियों को 154 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने आयुष्मान भारत योजना से छूटे हुए परिवारों को कवर करने के लिए मुख्यमंत्री हिमाचल हेल्थकेयर योजना शुरू की है। उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत 218 करोड़ रुपये व्यय कर 2.40 लाख लोगों को लाभान्वित किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत 1.37 लाख से अधिक परिवारों को शामिल किया गया है जबकि मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना से 3.31 लाख परिवार लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला चूल्हा धूंआमुक्त राज्य बन गया है। प्रदेश के प्रत्येक घर में आज एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध हैं। मंत्रिमण्डल ने ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की निःशुल्क आपूर्ति और मुख्यमंत्री गृहिणी सुविधा योजना के लाभार्थियों को दो एलपीजी सिलेण्डर भी निःशुल्क देने को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य देखभाल को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए वर्ष 2019 में गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों की देखभाल के लिए मुख्यमंत्री सहारा योजना शुरू की गई है। इस योजना के अन्तर्गत अब तक गंभीर बीमारियों से ग्रसित 17,989 मरीजों को 60.50 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने कांगड़ा हवाई अड्डे पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी का स्वागत किया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री सरवीन चौधरी, वन मंत्री राकेश पठानिया, सांसद किशन कपूर व इंदु गोस्वामी, सांसद व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप, विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. हंस राज, कांगड़ा व चंबा जिला के विधायक, प्रदेश भाजपा प्रभारी अविनाश राय खन्ना, भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री पवन राणा व भाजपा के प्रदेश महासचिव त्रिलोक कपूर और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।

  • जमीनों की रजिस्टरी करने के मामले में आ रही दिक्कतों को यथाशीघ्र दूर करने के आदेश

    जमीनों की रजिस्टरी करने के मामले में आ रही दिक्कतों को यथाशीघ्र दूर करने के आदेश चंडीगढ़ (अदिति)- हरियाणा के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा चकबंदी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जमीनों की रजिस्टरी करने के मामले में आ रही दिक्कतों को यथाशीघ्र दूर करें। उन्होंने विभिन्न विभागों को निर्धारित अवधि में कार्य पूरा करने के निर्देश दिए। श्री कौशल आज यहां जमीनों की रजिस्टरी से संबंधित विभागों के उच्चाधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव वी.उमाशंकर, हरियाणा के विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव सुधीर राजपाल, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के महानिदेशक अमित कुमार अग्रवाल, टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के निदेशक के.एम पांडुरंग, लैंड होल्डिंग्स और लैंड रिकॉर्ड की निदेशक कुमारी आमना तसनीम समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा चकबंदी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री कौशल को जानकारी दी गई कि राज्य की 87 शहरी नगर निकायों में से 84 में प्रॉपर्टी-आईडी बना दी गई हैं, केवल हिसार जिला के बास व सिसाय तथा सोनीपत जिला के कुंडली नगरपालिका के क्षेत्र की प्रॉपर्टी-आईडी बकाया हैं। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के क्षेत्र में मंजिल-वाइज रजिस्टे्रशन करने में रही कठिनाइयों के बारे में भी अधिकारियों द्वारा अवगत करवाया गया। इस अवसर पर श्री कौशल ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने-अपने विभागों में जमीनों की रजिस्टरियों के मामले में आ रही परेशानियों को जल्द दूर करें।

  • जम्मू और कश्मीर में पंजाबी को अधिकारित भाषा सूची में दर्ज करवाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र

    जम्मू और कश्मीर में पंजाबी को अधिकारित भाषा सूची में दर्ज करवाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र पंजाबी बोली का जम्मू और कश्मीर के साथ महाराजा रणजीत सिंह के समय से ही ऐतिहासिक संबंधों का हवाला दिया चंडीगढ़, (अदिति):पंजाबी भाषा का जम्मू और कश्मीर के साथ महाराजा रणजीत सिंह के समय पर ही ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देते हुये मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने बुधवार को पंजाबी को केंद्र शासित प्रदेश की अधिकारित भाषाओं की सूची में दर्ज करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दखल मांगा। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपील की है कि वह केंद्रीय गृह मंत्रालय को सलाह दें कि यू.टी. जम्मू और कश्मीर की अधिकारित भाषाओं की सूची पर पुनर विचार करते हुये हुए इसकी समीक्षा की जाये और पंजाबी भाषा को इस सूची में शामिल किया जाये। अधिकारित भाषाओं की सूची में पंजाबी भाषा को बाहर करने के मामले पर पंजाबी भाईचारे में पाई जा रही नाराजगी का प्रतिनिधित्व करते हुये कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह के समय से हर जम्मू और कश्मीर, पंजाब का हिस्सा रहा है और इस क्षेत्र की पंजाबी एक क्षेत्रीय भाषा रही है। उन्होंने पत्र में लिखा कि जब जम्मू और कश्मीर आजाद राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया तो इस राज्य में पंजाबी बोली बड़े स्तर पर बोली जाती थी और अब कश्मीर घाटी में पंजाबी भाईचारे की तरफ से बोली जाती इस भाषा से जम्मू क्षेत्र में पंजाबी सभी पंजाबियों की मातृभाषा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सितम्बर, 2020 में ध्वनि मतों के साथ संसद के दोनों सदनों की तरफ के पास किये जम्मू और कश्मीर भाषाएं बिल, 2020 के अंतर्गत यू.टी. जम्मू और कश्मीर में मौजूदा समय दर्ज उर्दू और अंग्रेजी भाषाओं के अलावा कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को अधिकारित भाषाओं की सूची में शामिल किया गया। दुख की बात है कि पंजाबी को अधिकारित भाषाओं की सूची में दर्ज नहीं किया गया जोकि अब यू.टी. की अधिकारित भाषाएं ही नहीं बन गई बल्कि स्कूलों में भी इनको लाजिमी विषय के तौर पर पढ़ाया जायेगा।

  • छह और स्थानों पर झुग्गी-झोंपड़ी वालों को दिए मालिकाना हक

    छह और स्थानों पर झुग्गी-झोंपड़ी वालों को दिए मालिकाना हक 46 झुग्गी-झोंपड़ी वाले स्थानों पर रहने वाले 8141 बेघर परिवारों का अपने घर का सपना किया साकार मुख्य सचिव द्वारा ‘बसेरा’ स्कीम के लागूकरण में और तेज़ी लाने के लिए मासिक समीक्षा के आदेश चंडीगढ़, (गुरप्रीत) मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के प्रमुख प्रोग्राम ‘बसेरा’ के अंतर्गत पंजाब सरकार द्वारा फिऱोज़पुर, जालंधर, मानसा, पटियाला और लुधियाना जिलों में झुग्गी-झोंपड़ी वाली (स्लम) छह और स्थानों पर रहने वालों को मालिकाना हक देने की मंज़ूरी दे दी गई है। यह मंज़ूरी यहाँ ‘बसेरा’ स्कीम के अधीन संचालन समिति की पाँचवी मीटिंग, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव श्रीमती विनी महाजन ने की, में दी गई। इस फ़ैसले से राज्य के विभिन्न जिलों में अब तक 46 झुग्गी-झोंपड़ी वाले स्थानों पर रहने वाले 8,141 परिवारों को घरों के मालिकाना हक मिल गए हैं। स्कीम की प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्य सचिव ने ‘बेघरों के लिए घर’ स्कीम की मासिक समीक्षा करने के आदेश दिए, जिससे झुग्गी-झोंपड़ी वालों को मालिकाना हक देने की प्रक्रिया में और तेज़ी लाई जा सके और जल्द से जल्द उनका अपना घर होने का सपना साकार किया जा सके। उन्होंने सभी डिप्टी कमिश्नरों को इस जन-समर्थक योजना के निर्विघ्न अमल के लिए और अधिक सक्रियता से काम करने के निर्देश भी दिए। जि़क्रयोग्य है कि शहरी क्षेत्रों में राज्य सरकार की ज़मीन पर झुग्गी-झौंपडिय़ों में रहने वाले परिवारों को मालिकाना हक देने की योजना शुरू करने वाला पंजाब देश का पहला राज्य है। मीटिंग में अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास अनिरुद्ध तिवारी, अतिरिक्त मुख्य सचिव-कम-वित्त कमिश्नर ग्रामीण विकास एवं पंचायतें सीमा जैन, प्रमुख सचिव पी.डब्ल्यू.डी. विकास प्रताप, प्रमुख सचिव स्थानीय सरकार अजोए कुमार सिन्हा, सचिव स्थानीय सरकार अजोए शर्मा, सचिव राजस्व विभाग मनवेश सिंह सिद्धू और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

  • छीना ने हेलीकाप्टर हादसे में शहीद हुए गुरसेवक सिंह के परिवार से दुख का इजहार किया

    छीना ने हेलीकाप्टर हादसे में शहीद हुए गुरसेवक सिंह के परिवार से दुख का इजहार किया केंद्र सरकार को पारिवारिक हालातों संबंधी भेजा गया है विवरण : छीना अमृतसर : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते दिनों तमिलनाडु में घटित हुए हेलीकाप्टर हादसे में भारतीय सेना के सीडीएस बिपिन रावत व उनके साथ शहीद हुए जवानों के लिए बहुत चिंतित है। हादसे की उच्च स्तरीय जांच चल रही है। उक्त शब्दों का इजहार आज यहां भाजपा के वरिष्ठ नेता राजिंदर मोहन सिंह छीना ने श्री रावत के बहुत ही नजदीकी पीएसओ नायक गुरसेवक सिंह के शहीद होने पर पारिवारिक सदस्यों से दुख सांझा करने के लिए उनके गृह दोदे सोढिया में पूर्व जिला प्रधान नवजीत सिंह शफीपुर, अमृतसर देहाती जिला महासचिव सुशील देवगण व अन्य पार्टी नेताओं के साथ पहुंचने के अवसर पर किया। छीना ने कहा कि मोदी ने निजी तौर पर उक्त हुई अनहोली पर दुख जाहिर करते हुए शहीद जवानों के परिवार का हालचाल व मौजूदा स्थिति संंबंधी विवरण एकत्रित करने के लिए पार्टी द्वारा लगाई गई ड्यूटी के तहत आज यहां पहुंचे है। उन्होंने कहा कि हमें व पूरा देश इस बातचीत से बहुत दुखी है। रावत के साथ खालड़ा निकटवर्ती गांव सोढिया के रहने वाले जांबाज जवान गुरसेवक सिंह जोकि छह भाइयों व दो बहनों का भाई थी इस हादसे में शहीद हो गया। उन्होंने कहा कि मोदी इस हादसे के लिए बहुत ही गमगीन है। उन्होंने इस हादसे को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच के आदेश दिए है कि एक खास तरह के इस हेलीकाप्टर का दुर्घटना का शिकार होना कई संदेह पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में पूरा देश गुरसेवक के परिवार के साथ खड़ा है। पार्टी हाईकमान ने उच्च तौर पर परिवार के हालातों संबंधी जानकारी एकत्रित करने संबंधी ड्यूटी लगाई है तथा आज उनके साथ जहां मैं दुख का इजहार करता हूं वही हरेक प्रकार का विवरण प्रधानमंत्री मोदी के ध्यान हित भेजा जा रहा है। ताकि जो शहीद हुए उक्त युवक को श्रद्धांजलि के रूप में कुछ राहत परिवार को मिल सके। छीना ने कहा कि उक्त हेलीकाप्टर जोकि रशिया की तकनीक है तथा उसकी ओर से यह दावा किया गया था कि इसमें किसी तरह की खराबी या फिर हादसा नहीं घटित हो सका है। इसकी उच्च स्तरीय जांच बिठाई गई है। पार्टी हाईकमान इस राज को सुलझाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने इस अवसर पर हाईकमान की ओर से परिवार जिनमें उनकी पत्नी जसप्रीत कौर, बेटा गुरफतेह सिंह, लड़कियां सिमरतदीप कौर, गुरलीन कौर के साथ दुख बांटते हुए कहा कि उनकी हर तरह की सुविधा के लिए प्रयास किया जाएगा।

  • जल संरक्षण के प्रहरी बने मुख्यमंत्री मनोहर लाल

    जल संरक्षण के प्रहरी बने मुख्यमंत्री मनोहर लाल वर्तमान समय में कम होते भू-जल स्तर के कारण पानी की मांग को पूरा करने और भावी पीढ़ी को विरासत में भू-जल मिले इसके लिए आज जल संरक्षण के प्रहरी बन चुके मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा सरकार प्रदेश में सभी स्रोतों से उपलब्ध जल के समुचित उपयोग की तरफ कदम बढ़ा रही है। जल संसाधनों को संरक्षित रखने और जल संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनके सार्थक परिणाम भी सामने आने लगे हैं। मुख्यमंत्री के विज़न के अनुरूप पर्यावरण को सर्कुलर इकोनॉमी मानते हुए राज्य सरकार कई योजनाएं बना रही है। इसी कड़ी में वर्तमान समय की पानी की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ भविष्य में पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करने हेतु मुख्यमंत्री द्वारा उपचारित पानी का पुनः उपयोग, सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना, फसल विविधीकरण, तालाबों का जीर्णोद्धार कर उसके पानी का सिंचाई व अन्य कार्यों हेतू उपयोग को बढ़ावा देने जैसी विभिन्न पहलें शुरू की गई हैं। वर्तमान में सतही जल, भूजल और उपचारित अपशिष्ट जल को मिलाकर हरियाणा की कुल जल उपलब्धता 21 बीसीएम है। जबकि सभी क्षेत्रों को मिलाकर जल की कुल मांग 35 बीसीएम है। इस लिहाज से पानी की उपलब्धता और मांग में 14 बीसीएम का अंतर है। पानी की कमी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ने सभी विभागों और जनता से थ्री-आर सिद्धांत यानी रिडयूस, रिसाईकल और रियूज को अपनाने का आह्वान किया है, जो न केवल जल संरक्षण व जल संचयन में उपयुक्त सिद्ध होगा, बल्कि प्रदेश के एकीकृत विकास में भी अहम योगदान देगा। 26-27 अप्रैल को हरियाणा सरकार कर रही जल संगोष्ठी का आयोजन हरियाणा में पानी का स्तर लगातार कम हो रहा है, इस कमी को देखते हुए सरकार महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। जनता की पर्याप्त जल आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण द्वारा पंचकूला में 26-27 अप्रैल को जल संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। भारत की इस पहली जल संगोष्ठी में विभिन्न विभागों द्वारा जल संकट से निपटने और राज्य में जल स्तर को कैसे बढ़ाया जाए, इस बारे मंथन किया जाएगा। इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य आमजन मानस को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। सु-जल पहल अनोखी योजना पानी की हर बूंद को बचाने तथा इसके उचित प्रबंधन के लिए राज्य सरकार ने एक द्विवार्षिक कार्य योजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य पानी का उपयोग और उपचारित पानी का पुन: उपयोग सुनिश्चित करना है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने अपनी तरह की अनोखी योजना सु-जल की शुरुआत की। यह अनूठी पहल जल संरक्षण के क्षेत्र में कारगर साबित हो रही है। पंचकूला में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई इस योजना के सफल परिणाम आने के बाद पूरे प्रदेश में सु-जल योजना की शुरुआत की जाएगी। इसके अलावा, विभिन्न विभागों द्वारा भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें अटल भू जल योजना, जल शक्ति अभियान, राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना, हरियाणा उपचारित अपशिष्ट जल सिंचाई परियोजना, तालाब जीर्णोद्धार परियोजना, मिकाडा, मेरा पानी-मेरी विरासत, धान की सीधी बुवाई, मुख्यमंत्री प्रगति किसान सम्मान योजना, जलभराव वाले क्षेत्रों का उद्धार, मृदा संरक्षण परियोजनाएं, अमृत मिशन और वर्षा जल छत संचयन इत्यादि शामिल हैं। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उठाये जा रहे विभिन्न कदम जल संरक्षण के प्रति उनकी गंभीरता व अन्य प्रांतों के मुकाबले राज्य में बेहतर जल प्रबंधन की उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है।

  • जनता को लगातार गुमराह कर रही भाजपा-जजपा सरकार: सैलजा

    जनता को लगातार गुमराह कर रही भाजपा-जजपा सरकार: सैलजा सरकार से मांगा जवाब, कब बनेगा शीतला माता मेडिकल कॉलेज --झूठ बोलना दिखावा करना बंद करें मुख्यमंत्री चंडीगढ़, (अदिति) हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार झूठ बोल कर प्रदेश की जनता को लगातार गुमराह कर रही है। हरियाणा कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने यह आरोप लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि वह बताए कि गुरूग्राम में शीतला माता मेडिकल कॉलेज का निर्माण कब होगा? यहां जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी को यह तो याद होगा कि उन्होंने 29 जून, 2017 को गुरूग्राम के सेक्टर-102, खेडकी माजरा में मेडिकल कॉलेज बनवाने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री जी ने वादा किया था कि इसका निर्माण 2022 तक पूरा हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 सितंबर, 2018 को इसका शिलान्यास भी कर चुके हैं। सैलजा ने कहा, इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि कॉलेज का निर्माण कार्य चार साल बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हुआ है। शिलान्यास करते वक़्त प्रधानमंत्री ने खट्टर सरकार की तारीफों के पुल बांधे थे। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि इससे साबित होता है कि खट्टर सरकार की बुनियाद झूठ पर टिकी हुई है। उसका ध्यान सेवाओं पर नहीं बल्कि दिखावे पर है। यह विडंबना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के हालात की हकीक़त जाने बगैर मुख्यमंत्री की पीठ थपथपाते रहते हैं। आज हरियाणा में बेरोजगारी की दर 29 प्रतिशत हो चुकी है। क्या प्रधानमंत्री यह जानते हैं कि किसी समय सबसे समृद्ध राज्य की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा चुकी है। हरियाणा की दयनीय स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कुमारी सैलजा ने कहा कि कोरोना काल में जनता ने कितनी पीड़ा-यातना झेली, यह किसी से छिपा नहीं है। अस्पतालों में न दवा थी, न बेड थे, आक्सीजन का दूर- दूर तक पता नहीं था। न केंद्र सरकार ने कोरोना से निपटने की तैयारी की, न राज्य सरकार ने। कोरोना जब पीक पर था तब भाजपा-जजपा का एक भी मंत्री, कार्यकर्ता घर से बाहर नहीं निकला। कोरोना से पीड़ित लोगों व परिजनों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। जनता सरकार का असली रूप पहचान चुकी है। कुमारी सैलजा ने कहा कि जनता की याददाश्त बहुत तेज होती है, समय आने पर सरकार से एक-एक बात का हिसाब मांग लेगी। उन्होंने कहा कि सरकार झूठ बोलना बंद करे, दिखावा बंद करे।

  • छेड़छाड़ के आरोपी मंत्री का इस्तीफा लें मुख्यमंत्री या नैतिकता के आधार पर खुद इस्तीफा दें मंत्री

    छेड़छाड़ के आरोपी मंत्री का इस्तीफा लें मुख्यमंत्री या नैतिकता के आधार पर खुद इस्तीफा दें मंत्री चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में छेड़छाड़ के आरोपी मंत्री के इस्तीफे की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि आरोपों की जांच होने तक मुख्यमंत्री को मंत्री से इस्तीफा लेना चाहिए या नैतिकता के आधार पर खुद मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। लेकिन छेड़छाड़ के आरोपी मंत्री को बचाने के लिए बीजेपी-जेजेपी सरकार सार्वजनिक जीवन की नैतिकता और मूल्यों को तार-तार कर रही है। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के प्रति सरकार के इस रवैये की वजह से आज महिला सुरक्षा के मामले में हरियाणा तमाम राज्यों से पिछड़ गया है। हुड्डा आज विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। अभिभाषण के बाद कांग्रेस विधायकों ने आरोपी मंत्री के इस्तीफे की मांग को सदन में उठाया। लेकिन सरकार अपना अड़ियल रुख छोड़ने को तैयार नहीं हुई। इसके विरोध में पार्टी विधायकों ने सदन से वॉकआउट किया। राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अभिभाषण में सरकार के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्यपाल से गलत दावे करवाए, जो जमीन पर कहीं नजर नहीं आते। अभिभाषण में सरकार ने अपनी नाकामियों को उपलब्धियों की तरह पेश करने की कोशिश की। हकीकत यह है कि पिछले 8 साल में मौजूदा सरकार ने हरियाणा को हर मोर्चे पर पीछे धकेलने का काम किया। कानून व्यवस्था की जिस स्थिति पर सरकार को शर्मसार होना चाहिए, उसपर भी वह अपनी पीठ थपथपा रही है। जबकि, खुद केंद्र की सामाजिक प्रगति रिपोर्ट कहती है कि नागरिक सुरक्षा के मामले में हरियाणा सबसे निचले पायदान पर है।

  • जनता को मिलने वाली सुविधाओं से तय होती है लोकतंत्र में लोकप्रियता

    जनता को मिलने वाली सुविधाओं से तय होती है लोकतंत्र में लोकप्रियता जनता को ऑनलाइन योजनाओं के प्रति जागरूक करने में विधायकों की भूमिका अहम आईटी के जरिए पारदर्शी शासन सुनिश्चित कर रही हरियाणा सरकार सरकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना सरकार का मुख्य उद्देश्य: मनोहर लाल हम सुशासन का संकल्प लेकर सरकार में आए, उसी संकल्प को पूरा करने के लिए दिन-रात जुटे: मुख्यमंत्री चंडीगढ़ (अदिति) - हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि लोकतंत्र में लोकप्रियता इस बात से तय होती है कि जनता को कितनी सुविधाओं का लाभ समय पर और घर के दरवाजे पर मिलता है। उन्होंने कहा कि विकास के साथ-साथ पारदर्शिता लोकतंत्र में सुशासन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसी के चलते हरियाणा सरकार ने विभिन्न विभागों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, खासकर आईटी के जरिए ऑनलाइन सिस्टम को मजबूत किया गया है। इसके जरिए भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी और जवाबदेह सुशासन सुनिश्चित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल आईटी से जुड़ी योजनाओं के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन के लिए विधानसभा सदस्यों के लिए चंडीगढ़ में आयोजित ओरिएंटेशन प्रोग्राम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हम सुशासन का संकल्प लेकर सरकार में आए थे, उसी संकल्प को पूरा करने के लिए दिन रात जुटे हैं। उन्होंने कहा कि शासन में देरी और भ्रष्टाचार को आईटी के माध्यम से खत्म किया जा सकता है। जिस भी सिस्टम में मानवीय हस्तक्षेप कम होगा उसमें काम तेजी से होगा, समयबद्ध होगा और भ्रष्टाचार की संभावना नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार ने अधिकतर सरकारी योजनाओं को ऑनलाइन शुरू करके देशभर में मिसाल कायम की है। केंद्र सरकार ने हरियाणा की कई योजनाओं को सराहा है और राष्ट्रपति ने डिजिटल अवार्ड दिया है। इसी तरह, ऑनलाइन ट्रांसफ़र और पीपीपी जैसी कई योजनाओं को देश के दूसरे राज्य भी लागू कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में ही करीब एक दर्जन नए पोर्टल लॉंच किए हैं जिससे आम जनता को कई योजनाएँ ऑनलाइन उपलब्ध करवाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन सिस्टम के बारे में जनता में जागरूकता बहुत जरूरी है। कई बार यह महसूस होता है कि कुछ ऑनलाइन योजनाओं के बारे में जनता में जागरूकता की कमी है। विधायक इसमें बहुत अहम भूमिका निभा सकते हैं। विधायकों को इस संबंध में जनता में जागरूकता लाने के लिए आगे आना होगा। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि पारदर्शी शासन समय की आवश्यकता है। जनता को तभी संतुष्टि मिलती है जब सिस्टम पारदर्शी हो, जनता के साथ अन्याय और भेदभाव ना हो। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोकप्रियता इस बात से तय होती है कि जनता को कितनी सुविधाओं का लाभ घर पर या ऑनलाइन मिलता है और इन सुविधाओं के लिए आम लोगों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। हरियाणा सरकार राज्य के समावेशी विकास के साथ-साथ विभिन्न विभागों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। सरकार द्वारा आईटी सहित अन्य क्षेत्रों में विभिन्न कदम उठाए गए हैं ताकि पारदर्शी शासन सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकारी सेवाओं और योजनाओं का लाभ पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना सरकार का मुख्य उद्देश्य है। बॉक्सः ओरिएंटेशन कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने निर्देश दिए कि इन पोर्टल्स पर जैसे विधायक अपने अपने क्षेत्र के विकास कार्यों की मॉंग दर्ज कर सकते हैं वैसे मंत्रियों के लिए यह सुविधा पूरे हरियाणा के लिए हो ताकि मंत्री हरियाणा के किसी भी हिस्से से संबंधित मांग को पोर्टल पर डाल सकें । मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पोर्टलस को लेकर विधायकों की ओर से मिल रहे सुझावों का संज्ञान लेकर इनको भी लागू किया जाए।

  • जिला भाजपा अध्‍यक्षों को लेकर खट्टर और धनखड़ ने की माथापच्ची

    जिला भाजपा अध्‍यक्षों को लेकर खट्टर और धनखड़ ने की माथापच्ची चंडीगढ़ (अदिति) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रदेश भाजपा अध्‍यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के साथ पिछले दिनों काफी माथापच्ची करी और अब समय आ ही गया है कि हरियाणा में जिला भाजपा अध्‍यक्षों की घोषणा किसी भी समय हो सकती है । धनखड़ ने इस संबंध में सूची को अंतिम अमली जामा पहना दिया है।

  • जेजेपी ने अपने संगठन में किया विस्तार, 11 पदाधिकारी नियुक्त

    जेजेपी ने अपने संगठन में किया विस्तार, 11 पदाधिकारी नियुक्त ​

  • जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख: चिकित्सा शिक्षा में आगे बढ़ते कदम

    जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख: चिकित्सा शिक्षा में आगे बढ़ते कदम एक प्रभावी स्वास्थ्य सेवा वितरण व्यवस्था की नींव इसके सक्षम और प्रशिक्षित मानव संसाधनों में निहित है। 1.3 बिलियन लोगों की आवश्यकतानुसार सेवाएं प्रदान करने के साथ भारतीय चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी व्यवस्थाओं में से एक है। पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति भी देखी गई है। भारत सरकार ने संख्या (बढ़ते प्रवेश) और गुणवत्ता (चिकित्सा छात्रों को बेहतर प्रशिक्षण) दोनों के संदर्भ में चिकित्सक-रोगी अनुपात में सुधार लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 को अधिनियमित किया गया है जिसके तहत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर एक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का गठन किया जाएगा। यह चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक दीर्घकालीन मार्ग तय करेगा। पूर्वस्नातक/स्नातकोत्तर मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए समान परामर्श के प्रावधानों के साथ नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) का शुभारंभ किया गया है, इससे प्रवेश प्रक्रिया में योग्यता और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा सामने आएगीं। इसके अलावा, पिछले छह वर्षों में 158 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं और एमबीबीएस की सीटें 2014 की 51,112 से बढ़ाकर 2019 में 80,312 (57% की वृद्धि) की गई जबकि पीजी सीटों में 23,903 (यानी 79%) की वृद्धि के साथ इन्हें 2014 की 30,191 सीटों से 2020 में 54,094 तक किया गया। इसके अलावा, नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्र प्रायोजित योजना के तहत, 157 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की योजना बनाई गई है, इनमें से 43 पहले ही संचालित हो चुके हैं। इन उपायों से लाभरहित क्षेत्रों में तृतीयक देखभाल और चिकित्सा शिक्षा के विस्तार के मामले में बेहतर पहुंच बढ़ रही है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख को भी इन प्रयासों से बहुत लाभ मिला है। इस लेख में ऐसे कुछ कदमों की जानकारी दी गई है। केंद्र सरकार पहाड़ी क्षेत्रों और कुछ विशेष राज्यों में चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों के द्वारा चिकित्सा शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार (वर्तमान में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख संघशासित प्रदेश) की सहायता कर रही है। लगभग 1.25 करोड़ की आबादी वाले जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों में वर्ष 2018-19 तक केवल 4 मेडिकल कॉलेज (03 सरकारी और 01 निजी) थे, जिससे हर वर्ष केवल 500 एमबीबीएस छात्रों को प्रशिक्षित किया जाता था। जिसके कारण संघशासित प्रदेशों के कई प्रतिभाशाली छात्रों को भारत में अन्य राज्यों अन्यथा विदेशों के चिकित्सा संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रवेश लेना पड़ता था। “वर्तमान जिला/रेफरल हॉस्पिटल से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना” के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) का शुभारंभ राज्य में एक जबरदस्त सकारात्मक परिवर्तन का आधार बना है। योजना: स्वास्थ्य से संबंधित क्षेत्रों में मानव संसाधन की कमी को पूरा करने के लिए, सरकार ने "जिला/रेफरल अस्पतालों के उन्नयन के साथ नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना" के लिए एक योजना प्रारंभ की है। इस योजना के तहत देश के पूर्वोत्तर और विशेष श्रेणी वाले राज्यों में केंद्र सरकार और राज्यों के बीच निधि की सहभागिता 90:10 के अनुपात में और अन्य राज्यों में 75:25 के अनुपात में की जाएगी। मौजूदा जिला/रेफरल अस्पतालों के साथ संबद्ध करते हुए नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों के खुलने से, एमबीबीएस की सीटों में पर्याप्त संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे देश में चिकित्सा शिक्षा सस्ती हो रही है और देशभर में जनसंख्या और मानव संसाधनों के वितरण के संदर्भ में चिकित्सकों की कमी को भी दूर किया जा रहा है। संघशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर पूर्वस्नातक चिकित्सा शिक्षा: योजना के तहत, राज्य सरकार को 7 नए मेडिकल कॉलेजों की स्वीकृती दी गई है। विशेष राज्य व्यवस्था के अनुसार, योजना के संबंध में 90 प्रतिशत निधि केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। पहले चरण में, अनंतनाग, बारामुला, डोडा, कठुआ और राजौरी में पांच मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। इनमें से चार मेडिकल कॉलेज 400 अतिरिक्त एमबीबीएस सीटों के साथ (अनंतनाग, राजौरी, कठुआ और बारामूला) 2019-20 से संचालन में आ चुके हैं। डोडा का मेडिकल कॉलेज भी शीघ्र ही संचालित होने की संभावना है। इनके अलावा, योजना के तीसरे चरण में सरकार द्वारा उधमपुर और हंदवाड़ा (कूपवाड़ा) में दो और मेडिकल कॉलेजों को अनुमोदित किया गया है। योजना के तहत लेह में एक नए मेडिकल कॉलेज को भी स्वीकृत किया गया है, इससे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को 100 सीटों के साथ अपना पहला मेडिकल कॉलेज मिल गया है। वर्तमान में, जम्मू और कश्मीर में एक निजी मेडिकल कॉलेज और सात सरकारी मेडिकल कॉलेज संचालन में हैं, जिनकी कुल क्षमता 985 सीटों की है। सात सरकारी मेडिकल कॉलेजों में से चार की स्थापना उपरोक्त केंद्रीय योजना के तहत की गई है। इस योजना में अनुमोदित तीन मेडिकल कॉलेजों के कार्यशील होने के बाद, जम्मू और कश्मीर में पूर्वस्नातक एमबीबीएस सीटों की कुल संख्या में 300 अतिरिक्त सीटों की वृद्धि होगी। इसके अलावा, संघशासित प्रदेश में दो नए एम्स भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें से एक विजयपुर, सांबा और एक अवंतीपुरा, पुलवामा में हैं। एम्स, विजयपुर के लिए एमबीबीएस कक्षाएं वर्ष 2020-21 में आरंभ होने की संभावना है। स्नातकोत्तर मेडिकल शिक्षा: स्नातकोत्तर मेडिकल शिक्षा में सुधार के लिए, सरकार 1.20 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान कर रही है, जिसमें से 90 प्रतिशत केंद्रीय योगदान के रूप में प्रदान किया जाएगा। योजना के तहत केंद्रशासित प्रदेश को मेडिकल कॉलेजों जम्मू/श्रीनगर और एसकेआईएमएस बेमिना, श्रीनगर में अतिरिक्त स्नातकोत्तर सीटें आवंटित की गईं। इन कदमों के साथ, केंद्रशासित प्रदेशों में स्नातकोत्तर सीटों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। यह संख्या 2013-14 की 289 सीटों से 2019-20 में 568 सीट हो गई है। इसके अतिरिक्त, 51 डिप्लोमा सीटों को डिग्री सीटों में परिवर्तित कर दिया गया है, जिससे राज्य में प्रशिक्षित विशेषज्ञों की संख्या बढ़ गई है। इनके अलावा, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड ने डीएनबी कार्यक्रम के त्वरित विस्तार के शासनादेश के साथ पिछले तीन वर्षों में जम्मू और कश्मीर में लगभग 50 सीटों की वृद्धि की है। पिछले वर्षों में किए गए सरकार के प्रयास काफी फलदायी रहे हैं। इसी तरह के सुधार अन्य क्षेत्रों जैसे नर्सिंग शिक्षा, दंत चिकित्सा शिक्षा और संबद्ध एवं स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्षेत्रों में भी किये जा रहे हैं। सरकार ने सभी संबद्ध और स्वास्थ्य संबंधी पेशेवरों के लिए एक नियामक निकाय के लिए ‘दी नेशनल कमीशन फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स बिल’ नामक एक नया कानून लाने को स्वीकृति दे दी है। इसे संसद के आगामी सत्रों में पेश किया जाएगा। कहने की आवश्यकता नहीं है कि स्वास्थ्य देखभाल पेशवरों की गुणवत्ता और संख्या दोनों में सुधार के इन प्रयासों से संघशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में स्वास्थ्य सेवा वितरण में महत्वपूर्ण रूप से सुधार होगा। यह कदम हमारे नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण को प्रोत्साहन देने और अधिक उत्पादक कार्यबल को प्रशिक्षित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण हैं। *डॉ. यशपाल शर्मा,एमबीबीएस, एमएचए (एम्स, नई दिल्ली)* *निदेशक समन्वय न्यू मेडिकल कॉलेज और महानिदेशक जेके मेडिकल सप्लाइज कॉर्पोरेशन लिमिटेड*

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